खौफनाक भूत की कहानी हिंदी में | Hindi Scary Stories in hindi

bhoot ki kahani को पढ़ना चाहते है। तो यहां पर हम ने कुछ bhoot ki kahani कहानी लिखी है जो सत्य घटना पर आधारित है। यह horror story को पढ़ा कर आपको काफी डर लगेगा।

horror story को हिंदी में डरावनी कहानी कही जाती है। वैसे तो आपने काफी डरावनी भूत की कहानी पढ़े होंगे पर यह भूत की डरावनी कहानी काफी अच्छी होगी।

यह bhoot ki kahani भी पढ़ें: स्कूल में रहने वाला भूत

1. भूतिया ढाबा Hindi Scary Story

 hindi Scary Story भूतिया ढाबा
hindi Scary Story भूतिया ढाबा

‌ आज भी हमें याद है कि. जब हम 10वीं कक्षा में पढ़ रहे थे। तब हमारे टीचरों ने हम लोगों को पिकनिक पर पावागढ़ ले जाने की बात की थी। हमारे साथ स्कूल की सारी लड़कियां और टीचर भी साथ में गई थी। करीब 30 बसें थी। जिसमें हम लोग सबसे पीछे वाली बस में बैठे थे।

उसमें हम लोग हंसते गाते मजे हंसते गाते मजे करते हुए पिकनिक पर जा रहे थे। तभी हमारी बस का टायर फट गया. और गाड़ी जंगल में खड़ी हो गई। रात में करीब 1:30 बज रहे थे। गाड़ी का ड्राइवर नीचे उतरा और टायर देखकर बोला मैम आप लोग गाड़ी के नीचे उतर आओ टायर फट गया है।

उस को बदलने में एक-दो घंटे लग जाऐंगे। हम सब लोग नीचे उतर गए. तभी उसने बोला पास में एक ढाबा है। वहां पर चाहो तो आप लोग जाकर बैठ कर आराम कर सकते हो। चाहो तो चाय पानी भी ले सकते हो। तब तक मैं गाड़ी का टायर बदल कर आ जाऊंगा। हम लोग पैदल चल कर ढाबे तक आए तो वहां एक बूढ़ा आदमी चाय बना रहा बना रहा था। हम लोग चाय पी रहे थे। कि मेरी नजर ढाबे के ऊपर गई.

तो मैंने देखा कि जैसे कोई सफेद साड़ी पहनकर,बाल खोलकर,लाल कलर की लाली लगाकर, जोर-जोर से हंस रही थी। मैने डर के मारे आंख नीचे कर लि.और नीचे देखने लगी। तभी कोई के चिल्लाने की आवाज आई. बूढ़ा आदमी हम लोगों को बोला आप लोग यहीं पर बैठो। मैं अभी देख कर आता हूं। आवाज कौन लगा रहा है। इतना कहकर वह जंगल की तरफ दौड़ता हुआ चला गया। हम तो पहले से ही डरे हुए थे।

अब तो मानो शरीर का खून भी सूख गया था। उसी समय हमारी एक सहेली को खून की उल्टियां होने लगी। उसको छोड़ कर हम लोग भाग भी नहीं सकते थे। इतने में एक टीचर ने बोला। सब लोग आग जलाकर उसके सामने बैठ जाओ. और सब लोग एक साथ ही बैठना याद रहे की कोई अकेले कहीं उठकर नहीं जाएगा।

हम लोगों के दिमाग को मानो किसी ने हथौड़े से पीटकर बंद कर दिया हो। हमारा दिमाग काम ही नहीं कर रहा था। कि मैं अब क्या करूं.ऐसे देखते-देखते करीब 3:00 बज गए। तभी वह बूढ़ा आदमी जंगल से आ गया.और बोला कि यहां पर जो आवाज आप लोगो ने सुनी थी। वह भूल जाना वरना आप लोग पूरी जिंदगी रोते रहोगे। इतने में ड्राइवर भी आ गया और हम लोग दौड़कर बस में बैठ गए ।

और अपने अपने मन में महामृत्युंजय का जाप करने लगे। टीचर ने बोला कि यहां पर कोई बातचीत नहीं करेगा। जब तक कि सुबह ना हो जाए । हम लोग एक हफ्ते के बाद पिकनिक से लौटकर । जब स्कूल में सबसे मिले । तो यह घटना सबको बता दी ।

आज भी जब हम सुनते हैं कि हमारे बच्चे पिकनिक जा रहे हैं । तब हमें हमारी पुरानी घटना याद आ जाती है। कि कैसे हम लोग बच बचाके निकल आए थे । पिकनिक के नाम से हमे आज भी बहुत डर लगता है। भगवान सबकी रक्षा करें।

यह bhoot ki kahani भी पढ़ें: पीपल का भूत 

2. बंगले की कहानी – डरावनी कहानी

 Horror Story बंगले की कहानी
Horror Story बंगले की कहानी

‌ यह बात उन दिनों की है । जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था । तब मेरी उम्र 13 की थी । उस समय मैं अपने परिवार के साथ बड़े मजे और मस्ती करता था । मेरे परिवार में मम्मी-पापा और बहन और मेरी दादी भी रहती थी । मेरे पापा रेलवे की नौकरी करते थे।

इसलिए हम लोग रेलवे के मकान में रहते थे । जब मेरे पापा रिटायर हुए तो हम लोग एक बड़े बंगले में रहने चले गए। उस बंगले में मैं बहुत खुश था । क्योंकि मैं पहले से सोच रहा था ।

कि हमारा खुद का बड़ा घर हो।जब हम लोग घर में रहने गए। तो हमे एक बेचैनी सी महसूस हो रही थी । और हम रात को देर से सोते थे । क्योंकि हमें डरावनी पिक्चर बहुत पसंद थी। और हम देर रात तक टीवी देखते रहते थे।

और हमारा बाकी का परिवार खाना खाने के थोड़ी ही देर बाद सो जाते थे । एक दिन की बात है जब मैं रात में 11:30 बजे टीवी देख रहा था। तब मुझे लगा कि बाहर से कोई आवाज आ रही है ।

मैंने सोचा मम्मी या पप्पा पानी लेने के लिए उठे होंगे । वहीं से आवाज आ रही होगी । उस समय मैंने ध्यान नहीं दिया। लेकिन थोड़ी देर बाद जब मैंने टीवी बंद कर दी तो मुझे फिर से पायल बजने की आवाज आ रही थी।

कि जैसे कोई मेरे पास चला आ रहा हो । मैंने देखा तो कोई ना दिखा तो मेरे पैर थर थर कांपने लगे. और मेरे होश उड़ गए यह कैसी आवाज है। तभी पायल की आवाज बंद हो गई . थोड़ी देर बाद आवाज फिर से आने लगी तो मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

मानो मेरा दिल बाहर आ जाएगा। मैंने सोचा कि मैं यह बात सबको बताता हूं जब मैं हिम्मत जुटाके दरवाजा खोला तो मुझे वह मेरे पास बजने लगा ।

लेकिन वहां पर कोई ना दिखा तो मैं किसी तरह मम्मी के कमरे में पहुंचा .और सारी बातें उन मम्मी – पापा को बता दी। मेरे पापा मानने को तैयार नहीं थे। कि मैं सच बोल रहा हूं।

क्योंकि उनको जोर से नींद आ रही थी । और वह थोड़े नींद में भी थे । यहां तक कि कोई ने मेरी बातों पर ध्यान ही नहीं दिया । तो मेने सोचा कि आज रात मैं मम्मी पापा के साथ ही सो जाता हूं ।

ऐसा करते-करते करीब 8 या 9 दिन बीत गए । तभी वह आवाज फिर से आने लगी । लेकिन वह मेरे सिवाय किसी और को सुनाई ही नहीं दे रही थी। और अब तो वह आवाज चाहे जब आने लगी।

लेकिन मेरे साथ कुछ गलत नहीं हुआ। और मेरे पापा ने वह बंगला ही बदल दिया । और हम लोग फ्लैट में रहने चले गए। हमारे बाद उस बंगले में हमारे जान पहचान वाले लोग रहने आ गए उनका छोटा बेटा हमारा बड़ा अच्छा मित्र था। एक बार वह हमसे मिलने हमारे घर आया। और हम से पूछने लगा कि एक बात मैं तुमसे पूछ रहा हूं।

सच सच बताना कि उस घर में कभी तुमने किसी के चलने या फिर पायल बजने की आवाज सुनी थी । तब तो हमें पक्का यकीन हो गया । कि उस घर में कुछ तो था । और मैंने फिर से अपने परिवार को बताया । तब उन लोगों ने हमारी बातों पर यकीन लिया।

कि अब मैं सच बोल रहा हूं। और जो लोग वहां पर रह रहे थे। उन लोगों ने उस घर में पूजा पाठ कराया। तो पता चला कि यहां पर 7 औरतों ने एक साथ फांसी लगा ली थी ।

और यह उन्ही की आत्मा थी । आज मैं करीब 70 साल का हो गया। फिर भी उस घर में जाने से मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं । और उस घर की बात सुनकर मैं आज भी बहुत डर जाता हूँ।

यह bhoot ki kahani भी पढ़ें: खंडर का रहस्य

3. आत्मा की सवारी -ghost story

ghost story आत्मा की सवारी
ghost story आत्मा की सवारी

‌यह एक दुर्भाग्य पूर्ण घटना है । एक बार फैजाबाद जिले के गौरा घाट स्टेशन पर एक दुर्गेश नाम का ऑटो ड्राइवर अपनी ऑटो लेकर खड़ा रहता था । जो भी सवारी आती थी। उसे वह बैठा कर उसके घर छोड़ता था । और अच्छा खासा पैसा कमाता था । 1 दिन की बात है कि उस दिन जोर जोर से बारिश हो रही थी ।

और रह-रहकर बिजली चमक रही थी। रात के समय साफ-साफ कुछ दिखाई नहीं दे रहा था । वह वापस अपने घर को आने का सोचा वह सोच ही रहा था । उसे याद आया कि 1 घंटे बाद एक पैसेंजर ट्रेन आने वाली है । और वह फिर से वही पर रुक गया।

इतने में और घना अंधेरा छा गया अंधेरा इतना था । कि एक हाथ को दूसरा हाथ दिखाई नहीं दे रहा था। इतने में ट्रेन आ गई ।और बिजली रह-रहकर चमक रही थी।

तभी ट्रेन में से एक सुंदर सी लड़की बाहर निकली जिसकी उम्र 19 या 20 साल रही होगी ।उसके कंधे पर बैग और हाथों में सूटकेस था ।मानव शहर से कोई परी आ रही हो। और वह सीधे मेरी तरफ आकर रुकी और बोली मुझे रामपुर जाना है। क्या आप मुझे वहां तक छोड़ दोगे। मैंने बोला मेम साहब अगर आप अभी चलोगी तो ₹700 लूंगा ।

और अगर सुबह चलोगी तो मैं आपसे ₹200 ही लूंगा ।लड़की ने बोला आप ₹700 ले लेना लेकिन मुझे अभी ही मेरे घर पहुंचा दो मैंने बोला ठीक है। पहले ₹700 निकालो फिर ले चलूंगा मेम साहब ने बोला अभी तो मेरे पास सिर्फ ₹300 ही है.

इसीलिए इसे ले लो और अपने घर पहुंचने के बाद आपको ₹400 और दे दूंगी ।मैंने बोला ठीक है ।मैं मेम साहब को उनके घर ले आया ।और बोला कि आप जाओ और पैसा लेकर आ जाओ मेम साहब अंदर चली गई ।

आधा एक घंटा बीत चुका था ।वह अंदर से बाहर नहीं निकली। तो मैंने सोचा चलो मैं ही अंदर जाकर पैसा मांग लेता हूं ।रात के करीब 3:00 बज चुके थे।

जब मेने घर का दरवाजे खटखटाया तो अंदर से एक माताजी अपनी आंखों को मलते हुए दरवाजा खोला और बोला आप कौन हो इतनी रात को क्यों आए हो।और क्यों जोर-जोर से आवाज मार रहे हो ।मैंने बोला कि जो अभी थोड़ी देर पहले मेमसाहब आई थी। उन्होंने मेरा पूरा किराया नहीं दिया था।

इसीलिए मैं अंदर आया हूँ। माताजी ने बोला कि यहां पर तो केवल मैं और मेरे पति रहते हैं ।यहां पर तो कोई मेमसाब नहीं रहती है। कुछ बरस पहले यहां पर मेरी बेटी रहती थी ।जो अब नहीं है ।मैंने पूछा क्यों माता जी अब वह कहां रहती है।

बात करते-करते सुबह हो गई ।अचानक मेरी नजर दीवाल पर पड़ी तभी मेने देखा कि मेंम साहब की फोटो दीवार पर लगी हुई थी ।तब मैंने बोला कि माता जी जी यही मेमसाब थी।

जिनको मैं लेकर आया था ।माताजी रोते-रोते बोली बेटा यह कैसे हो सकता है। क्योंकि यह तो 5 साल पहले ही ट्रेन के नीचे आकर कट गई थी ।उसकी मृत्यु हो गई थी ।तब तो मेरे होश उड़ गए ।और हाथ पैर ठंडे पड़ गए ।मैंने बोला मैं जाता हूं ।मुझे कोई पैसा नहीं चाहिए ।और मैं जोर से दौड़ा और ऑटो रिक्शा तक आया ।

ऑटो में बैठकर ऑटो को जोर जोर से भगाने लगा। तभी मेरी नजर पीछे वाली सीट पर पड़ी तो मेने देखा कि ₹400 पड़े थे मैंने पैसे लेकर मंदिर में चढ़ा दिया। और भगवान से प्रार्थना करने लगा कि मेम साहब की आत्मा को शांति मिले और तभी से ही मैंने रात को ऑटो चलाना छोड़ दिया। मेरी किस्मत अच्छी थी जो मैं बच गया।

यह bhoot ki kahani भी पढ़ें: लड़की के अंदर जिन्न की आत्मा

4. रास्ते का भूत bhoot ki kahani

bhoot ki kahani रास्ते का भूत
bhoot ki kahani रास्ते का भूत

‌ मैं दिल्ली के एक फैक्ट्री में साफ- सफाई का काम करता हूं। मेरा घर फैक्ट्री से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। मेरे पास एक साइकिल है। जिससे मैं अपने घर से फैक्ट्री और फैक्ट्री से घर आता-जाता हूं। एक दिन जब मैं फैक्ट्री से घर जा रहा था । तो रास्ते में मुझे एक लड़की दिखाई दी और वह मुझे घूर-घूर के देख रही थी।

मैं उसे टालते हुए अपने घर की ओर निकल पड़ा। दूसरे दिन फिर वही लड़की मुझे उसी जगह पर दिखाई दी और वह मुझे फिर से घूरने लगी फिर भी मैंने उसकी तरफ पलट के नहीं देखा और अपने घर की ओर निकल पड़ा।

मैं उसके पास रुका भी नहीं क्योंकि मुझे उस लड़की से डर लग रहा था। वह लड़की कई दिनों तक मुझे देखती रहती थी। एक दिन वह लड़की वहां पर नहीं दिखाई दी।तो मैं सोच में पड़ गया।

ऐसा क्या हुआ जो वह लड़की आज नहीं आई । फिर मैं अपने घर की तरफ निकल पड़ा। एक हफ्ते बाद मेरे घर पर एक चिट्ठी आई और मुझे पता चल गया था कि यह चिट्ठी उसकी ही है। उसमें उसका नाम प्रीति लिखा हुआ था।

और उसमें से एक फोटो निकली थी। जो कि उसी लड़की की थी। मैं चौक गया की उसे मेरा पता कैसे चला।

उस चिट्ठी में लिखा हुआ था.कि कल जब फैक्ट्री से निकलो तो जहां पर मैं खड़ी रहती हूं वहां पर मेरा इंतजार करना उस के दूसरे दिन मैं वहां पर पहुंच गया। तो वह लड़की वहां पर नहीं खड़ी थी। मैंने काफी इंतजार किया फिर मैं अपने घर की तरफ चल दिया.और तभी मुझे याद आया कि वो जो चिट्ठी आई थी। उसमें उसका पता तो होगा।

फिर मैं उसका पता पढ़ कर उसके पते के अनुसार मैं उसके घर मिलने के लिए गया। दरवाजा खोलते ही एक आदमी आया और बोला कि क्या काम है तो मैंने बोला कि मुझे प्रीति से मिलना है।

तो उस आदमी ने बोला कि मैं उसका पापा हूं और प्रीति को मरे हुए 2 महीने हो चुके हैं। मेरे हाथ पांव कांपने लगे मैं सोच में पड़ गया कि वह लड़की जो मुझे रास्ते में मिली थी और जिसने मुझे चिट्ठी भेजी थी। वह कौन होगी?

मुझे लगा कि वह उसकी आत्मा होगी । तभी प्रीति के पापा ने मुझे दिखाया कि देख लो उसकी तस्वीर पर माला पड़ा हुआ था। तभी मैं भागकर अपने घर पहुंचा फिर मैंने उस चिट्ठी को जला दीया .और उस दिन के बाद से मैंने कभी भी अनजान लोगों से मिलना और बात करना बंद कर दिया।

यह bhoot ki kahani भी पढ़ें: राजस्थान का रहस्यमई मंदिर

कुछ और bhoot ki kahani

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here