20 बेस्ट मजेदार हिंदी कहानियां बच्चों को पढ़ने के लिए | hindi kahaniya

क्या आपको हिंदी कहानियां पढ़ना है और आप हिंदी कहानियां खोज रहे है। हमने आपके लिए कुछ अच्छा हिंदी कहानियाँ लिखा है। यह हिंदी कहानियाँ बच्चों को पढ़ने के लिए लिखा गया है। यह कहानिया कोई भी पढ़ सकता है।

पुरानी कहानियां पढ़ने में मजा तो आता है लेकिन नई कहानियां पढ़ने में और मजा आता है। इसलिए यहाँ पर हमने नया भी कहानियां लिखी है।

हिंदी कहनिया (hindi kahaniya) हम अपनी दादी, नानी या माँ से सुनते हैं।

यह कहानी भी पढ़े: प्रेम कहानी हिंदी में

लालची सुनार और कीमती मोती -Hindi Kahaniya

Hindi-Kahaniya-for-kids

राम के पास बीस (20) बेशकीमती पुश्तैनी मोती थे। एक दिन वह सुनार के पास गया और बोला कि इन मोतियों का बहुत ही सुंदर हार बना दे।

सुनार बहुत ही लालची था। कीमती मोती देखकर उसके मन में लालच आ गया। उसने राम से कहा, “ठीक है, लेकिन पहले मैं इन मोतियों को तुम्हारे सामने गिन तो लूं।”

जब सुनार मोती गिन रहा था, तभी उससे चुपके से एक मोती अपनी गोद में गिरा लिया और राम से बोला, “ये तो सिर्फ 19 ही है।”

राम ने सुनार को गोद में मोती गिराते हुए देख लिया था। लेकिन उसने सुनार से इस बारे में कुछ नहीं कहा। बाद में उसने सुनार से कहा, “लाओ, अब मुझे गिनने दो।”

राम ने मोती गिनना शुरू किया और गिनने के दौरान मौका पाते ही एक मोती अपनी गोद मे गिरा लिया। राम ने सुनार से कहा, “हां, ये तो के वाकई 19 ही है।”

सुनार ने कहा, “ठीक है। मैं इनका हार बना दूंगा। कल आकर ले जाना।” शाम को जब सुनार हार बनाने बैठा तो उसने फिर मोती गिने।

लेकिन मोती 18 निकले। उसने मन में कहा कि जब राम ने मेरी मौजूदगी में गिना था तब तो ये 19 थे।

अब मैं क्या करुँ? इस हार में कोई दूसरा मिलता-जुलता मोती तो लगाया नहीं जा सकता। सुनार के पास अब कोई रास्ता नहीं था।

अगले दिन जब राम उसके पास पहुंचा तो उसने अपने पास छुपाकर रखा मोती और बाकी 18 मोती लौटा दिए।

यह कहानी भी पढ़े: तेनालीराम स्टोरी और कहानी

ऐसे सच होते हैं सपने Hindi Kahaniya

Hindi-Kahaniya-new-for-kids

एक बार मेढकों ने दौड़ प्रतियोगिता करने का फैसला किया। इसमें सभी को एक ऊंची टावर पर चढ़ना था। मेंढको की इस दौड़ को लेकर लोगों में गजब का उत्साह था।

इसलिए दौड़ देखने के लिए टावर के चारों ओर भारी भीड़ जमा हो गई थी।

तय समय के मुताबिक दौड़  शुरू हुई। भीड़ मे किसी को भी इस बात का भरोसा नहीं हो रहा था कि मेंढक टावर पर चढ़ जाएंगे। कोई कहता, “अरे, यह तो बहुत ही मुश्किल है। ये तो वहां पहुंच ही नहीं सकते।

कही से आवाज आई, “अरे टावर कितना ऊंचा है कि ये वहां कभी नहीं पहुंचेंगे।” इसी बीच कई मेंढक चढ़ने में गिरने लगे। कुछ थक गए और दौड़ छोड़कर बाहर आ गए।

सिर्फ वही मेंढक ऊपर की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं थे, जिन्होंने इस दौड़ को जीतने की ठान ली थी और किसी की नहीं सुन रहे थे।

इसी बीच भीड़ में लोगों का चिल्लाना जारी था। लोगों को लगा रहा था कि कई मेंढक तो गिरकर मर चुके हैं और जो चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, वे भी लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे।

लेकिन एक छोटा सा मेंढक बिना किसी परवाह किए टावर की ओर चढ़ता जा रहा था, और आखिरकार वह अपने लक्ष्य तक पहुंच ही गया।

इसके बाद दूसरे मेंढको में यह उत्सुकता जागी कि आखिर इतना छोटा-सा  मेंढक कैसे अपने लक्ष्य तक पहुंच गया।

दौड़ में हिस्सा लेनेवाले एक मेढक ने उससे पूछा, “अरे भाई! तुम कैसे वहां तक पहुंच गए?”

लेकिन किसी को यह नहीं पता था कि जीतनेवाला मेंढक सुन नहीं सकता था। वह बहरा था।

इसलिए उसने लोगों की बातें नहीं सुनी और अपना काम करता हुआ आगे बढ़ता रहा, और अंत में विजय हुआ। इसीलिए कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग क्या कह रहे हैं।

लोगों की नकारात्मक सोच और बात पर कभी भी ध्यान नहीं देना चाहिए। जो लोग ऐसी किसी भी बात को नहीं सुनते है और सकारात्मक रूप से अपने काम में लगे रहते हैं, वे हमेशा अपना लक्ष्य हासिल करने में कामयाब होते हैं।

यह भी पढ़े: पहेली बूझो तो जाने उत्तर के साथ

अगर आजादी चाहते हो तो पहले मरना सीखो

बहुत पुरानी बात है। एक गांव में एक व्यक्ति रहता था। उसके पास एक तोता था। एक दिन उस व्यक्ति को काम से दूसरे गांव जाना था। यह बात तोते को पता चल गई ।

उसने अपने मालिक से कहा, “जहां आप जा रहे हैं, वहां मेरे गुरु तोता रहते हैं। क्या आप उस तक मेरा एक संदेश पहुंचा देंगे?” मालिक ने जवाब दिया “हां, जरूर।”

तोते ने गुरु तोते के लिए संदेश दिया, “आजाद हवाओं में सांस लेनेवाले के नाम, एक बंदी तोते का सलाम।”

तोते का मालिक दूसरे गांव पहुंचा और अपना काम निपटाने के बाद गुरु तोते से मिला और उसे अपने तोते की ओर से भेजोवाया संदेश सुनाया। संदेश सुनने के बाद गुरु तोते की मौत हो गई।

तोते का मालिक अपने गांव लौट आया। उसने तोते को बताया कि मैंने गुरु तोते को जैसे तुम्हारी संदेश सुनाया, सुनते ही उसकी मौत हो गई।

जैसे ही तोते ने यह बात सुनी तुरंत उसकी भी मौत हो गई। यह देखकर तोते का मालिक बहुत ही उदास हो गया।

वह मरे हुए तोते को उठाकर बाहर फेंक आया। तभी तोता तेजी से उड़ा और बोला, “मेरे गुरु तोते ने कहा था कि अगर आजादी चाहते हो तो पहले मरना सीखो।”

यह कहानी भी पढ़े: अकबर बीरबल की कहानी

मिट्टी और पत्थर –हिंदी कहानियाँ

एक बार दो दोस्त साथ-साथ यात्रा कर रहे थे। एक दिन रास्ते में आपस में झगड़ पड़े। एक ने दूसरे को तमाचा जड़ दिया। जिसे तमाचा लगा था, उसे गाल से ज्यादा चोट दिल पर लगी।

उसने कुछ कहा तो नहीं, लेकिन मिट्टी पर लिखा- आज मेरे सबसे अजीज दोस्त ने मुझे मारा।

इसके बाद भी दोनों ने साथ यात्रा जारी रखी। एक नदी के किनारे पहुंचने के बाद दोनों ने उसमें नहाने का फैसला किया। तभी अचानक दूसरा दोस्त (जिसे पहलेवाले ने तमाचा मारा था) नदी में डूबने लगा।

दोस्त को डूबता देख कर उसने उसे बचा लिया। जान बचने के बाद इस बार उसने एक पत्थर पर लिखा- आज मेरे सबसे अजीज दोस्त ने मेरी जान बचाई।

यह देखकर उसका साथी मन-ही-मन बहुत परेशान हुआ। उसने पूछा, “जब मैंने तुम्हें तमाचा मारा तो तुमने मिट्टी पर लिखा और जब मैंने तुम्हारी जान बचाई तो तुमने पत्थर पर लिखा।”

इस पर दोस्त ने जवाब दिया, “जब कोई तुम्हे तकलीफ पहुंचाई तो उसे मिट्टी पर लिखो, ताकि माफी की हवाएं उसे मिटा सके।

लेकिन जब कोई तुम्हारे लिए कुछ अच्छा करें तो तुम उसे पत्थर पर लिखो दो, ताकि वह हमेशा के लिए बना रहे।”

यह कहानी भी पढ़े: school love story in hindi

ऐब मत देखो गुणों को देखो -hindi kahani

एक बार महाकवि कालिदास से राजा ने पूछा, “आप इतने बड़े कवि और विद्वान है। फिर भी ईश्वर ने आपके साथ ऐसा क्यों किया कि बुद्धि के सामान काया और सुंदरता नहीं दी?”

कालिदास राजा के इस व्यंग को तत्काल समझ गए, पर उस वक्त तो वे बिल्कुल शांत रहें। जब वे महल में पहुंचे तो उन्होंने दो बर्तन मंगवाए। इनमें से एक मिट्टी का था और दूसरा सोने का।

उन्होंने दोनों बर्तनों में पानी से भर दिया। इसके बाद कालिदास ने राजा से पूछा, “महाराज किस बर्तन का पानी ठंडा और मीठा होगा?”

राजा ने तपाक से जवाब दिया, “मिट्टीवाले बर्तन का।” कालिदास मुस्कुराए और बोले, “राजन्, जिस तरह जल का ठंडापन बर्तन के मिट्टी का या सोने का होने पर निर्भर नहीं करता, उसी तरह बुद्धि भी व्यक्ति की बनावट पर  निर्भर नहीं करती।

इसलिए व्यक्ति के गुणों को महत्व देना चाहिए, न कि उसके शारीरिक बनावट को। आत्मा की सुंदरता ही सबसे बड़ी सुंदरता है।

बुद्धि व महानता का संबंध सीधे आत्मा से होता है, न कि शरीर से।” कालिदास के इस जवाब ने राजा की आंखे खोल दी।

आप कुछ और हिंदी कहानियाँ पढ़ सकते है।

हिंदी कहानियां बस कहानी ही नहीं होती है। उन्हें काफी तरह की सीख होती है। यह सीख जीवन में कई तरह से मदद करती है। कहानिया पढ़ते रहे और ज्ञान लेते रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here