moral stories in hindi
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Moral stories in hindi बेहतरीन नैतिक कहानियाँ ज्ञान के साथ हिंदी में

moral stories in hindi का मतलब होता है नैतिक कहानियाँ। वह कहानी या स्टोरी जिसको पढ़ने के बाद कुछ नैतिक सीख मिले। moral stories सभी के लिए होती है लेकिन moral stories सबसे ज्यादा बच्चे पढ़ने है। बच्चो को यह moral stories in hindi नैतिक की सीख देती है। बड़े होने के बाद यह सीख उन्हें काफी मदद करती है।

यहाँ पर हमने बहुत से अच्छी-अच्छी moral stories in hindi लिखी है। हर एक moral story के निचे उसका सीख भी पढ़ने को मिलता है ताकि हिंदी स्टोरी के साथ सीख भी मिल सके।

moral stories को ज्ञान की कहानियां भी कहते है। इसका कारण होता की moral stories में ज्ञान भी होता है।

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युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है -moral stories in hindi

युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है -moral stories in hindi
युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है -moral stories in hindi

कहानी दूर किसी जंगल में दो विशाल राक्षस रहा करते थे। पहले राक्षस का नाम सुंदर और दूसरे राक्षस का नाम उपसुंदर था। वह दोनों राक्षस सगे भाई थे। वह दोनों बहुत ज्यादा बहादुर थे। वह किसी से साथ लड़ा करते थे। उसके आस-पास रहने वाले अन्य राक्षस उन्हें राजा माना करते थे। एक बार उन राक्षस ने सोचा कि हम इतने विशाल है हमें तीनो लोक पर राज करना चाहिए।

बड़े राक्षस ने कहा, हमे तीनो लोक पर राज करने के लिए हमे शिव जी को उपासना करके शिव जी को प्रसन्न करना होगा। बड़े भाई के इस बात को मानकर छोटे और बड़े राक्षस शिव जी की उपासना करना शुरू कर दिया। उनकी उपासना कई वर्षो तक चलती रही।

फिर वह भी एक दिन आया जब शिव जी उनकी तपस्या से खुश हो कर उनके सामने आ गए। शिव जी ने कहा, हे! भक्त मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ। तुम्हे जो कुछ भी मांगना है मागो। मैं तुम्हे जरूर दुगा।

राक्षसों के मन स्वार्थ जाग गया। राक्षसों से शिव जी से तीनों लोक पर अधिकार मांगने के स्थान पर शिव जी से पार्वती जी को मांग लिया। शिव जी को बहुत क्रोध आया। शिव जी राक्षसों को वचन दे दिया था। अब चाह कर भी वह अपने वचन से पीछे नहीं हट सकते थे।

अंत में शिव जी ने पार्वती को उन राक्षसों के हवाले कर दिया। पार्वती को पाकर दोनों राक्षस बस कुछ देर ही खुश रह पाए। फिर उन दोनों राक्षस में झगड़ा होने लगा। झगड़ा इस बात की थी कि पार्वती किसके साथ रहेगी। उनका झगड़ा बढ़ता ही जा रहा था। दूर से शिव जी इनके झगड़े को देख रहे थे। राक्षसों ने सोच क्यों न हम किसी दूसरे से इस मामले को हल करने को कहे।

शिव जी के लिए यह अच्छा मौका था। शिव जी तुरंत एक साधु का रूप लेकर राक्षसों के पास से गुजरने लगे। राक्षसों ने साधु को रोका और आपने झगड़े का पूरा कारण बताया। साधु ने जब दोनों राक्षसों की बात को सुन लिया तो फिर बोले, इस समस्या का हल बस एक ही है। पहले आप दोनों को खुद में युद्ध करना चाहिए। जो इस युद्ध में विजय होगा।

उसके साथ ही पार्वती  जाऐगी। बस साधु की बात को सुनने के बाद तुरंत दोनों राक्षसों आप में युद्ध करने लगे। वह दोनों राक्षस ही एक दूसरे के सामने काफी मजबूत थे। कुछ समय के युद्ध के बाद दोनों राक्षसों अपनी जान को गवा बैठे। शिव जी साधु के रूप को बदल लिया।

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जीवन और मृत्यु पर किसी का अधिकार नहीं है

जीवन और मृत्यु पर किसी का अधिकार नहीं है
जीवन और मृत्यु पर किसी का अधिकार नहीं है

बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक शिकारी रहा करता था। वह शिकारी अक्सर हिरण का शिकार किया करता था। उस शिकारी को हिरण का शिकार करने में मजा आया करता था। एक दिन की बात है। शिकारी अपने धनुष को लेकर शिकार करने के लिए जंगल की ओर चल दिया।

जंगल में पहुंचने पर शिकारी को एक हिरण नजर आया। शिकारी ने अपना तीर निकाल कर हिरण को अपना शिकार बनाने वाला था तभी उसे एक बकरा  नजर आ गया। शिकारी के मन में आया, वहाँ अगर मैं इस हिरण के साथ इस बकरा  का शिकार कर लू तू फिर मुझे कई दिनों तक का आराम हो जाएगा। शिकारी ने इसके आगे सोचा, मुझे पहले हिरण को अपना शिकार बनाना चाहिए उसके बाद ही बकरा  को। क्यों हिरण जल्दी से भाग सकता है लेकिन बकरा  ऐसा नहीं कर सकता है।

यह सोच कर शिकारी ने पहले हिरण को अपना शिकार बना लिया। जब हिरण जमीन पर गिर गई तो शिकारी आगे बढ़ कर उस बकरे पर तीर चलाया। शिकारी का तीर बकरे को जा लगा। लेकिन बकरे ने सोच लिया कि मुझे मरने वाले से मैं भी मर के ही मरुँगा।

बकरा तेजी से शिकारी से आकर लड़ गया। एक तरफ बकरा गिरा और दूसरे तरफ शिकारी का सर एक पत्थर से टकरा गया। वही बकरे और शिकारी दोनों की मौत हो गई। अब एक ही स्थान पर 3 लासे पड़ी थी। वह कहते है कि जब भी जैसे ईस्वर चाहे वासे मौत को देता है।

कभी भी मौत का कारण छोटा या बड़ा हो सकता है लेकिन कोई न कारण जरूर होता है। उस जंगल में कही से एक लोमड़ी वह आ पंहुचा। वह लोमड़ी भी बहुत भूखी थी। एक साथ तीन-तीन शिकार को जमीन पर पड़े देख कर उसका मन ख़ुशी से झूमने लगा। वह सोचने लगा की मैं पहले किसको खाव। मानव का मास तो बहुत ही स्वादिस्ट होता है। इसलिए मुझे सबसे पहले मानव का मास खाना चाहिए। उसके बाद हिरण का।

उसके बाद इस बकरे का मांस खाना चाहिए। यह सोचने के बाद वह लोमड़ी उस शिकारी के पास गया। शिकारी के हाथ को सबसे पहले खाना चाहा, शिकारी के हाथ में तीर लगा हुआ था। जैसे ही शिकारी के हाथ को लोमड़ी ने काटना चाहा। उसके मुँह में तीर आर-पार हो गया। उसके बाद उस लोमड़ी का मौत भी वही हो गई। अंत में अब एक ही स्थान पर चार लासे पड़ी थी।

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कुछ भी करने से पहले अंजाम को जाना जरूरी होता है moral story

कुछ भी करने से पहले अंजाम को जाना जरूरी होता है moral story
कुछ भी करने से पहले अंजाम को जाना जरूरी होता है moral story

कही दूर कोई राजा अपना एक बड़ा महल बनवा रहा था। उस महल को बनाने का काम काफी तेजी से चल रहा था। उस महल को बनाने के लिए उस राज्य के साथ ही अन्य राज्य के बड़े और अच्छे कारीगर आए हुए थे। एक की बात है। सारा दिन काम करने के बाद दोपहर के समय सभी कारीगर भोजन करने चले गए।

जब कारीगर चले गए तो वह पर कुछ बंदर आ गए। उस सभी बंदर में से एक बंदर काफी शरारती था। उस शरारती बंदर का नाम सुंदर था। सुंदर एक चिपटी लकड़ी पर आ बैठा। उस लकड़ी को मिस्त्री के द्वारा चीरा जा रहा था। उस लकड़ी को अभी आधा चिर लिया गया था। आधी लड़की को अलग-अलग रखने के लिए उसमे एक कील ठोका गया था।

सुंदर नामक बंदर उस लकड़ी पर इस प्रकार से बैठा हुआ था कि उसकी पूछ लकड़ी के बीचो-बीच फसा हुआ था। सुंदर को तबतक वह कील नजर आ गया जो कील उस लड़की को अलग-अलग किया हुआ था। सुंदर ने सोचा मुझे इस कील को निकालकर देखना चाहिए कि क्या होता है। सुन्दर उस कील को निकालना शुरू कर दिया। उसके हाथ से वह कील नहीं निकल पा रही थी। लेकिन वह सुंदर हार मानने को तैयार ही नहीं था।

और जोर के साथ वह कील को निकाल रहा था। कुछ समय के मेहनत के बाद वह कील उस लकड़ी से निकल ही गया। कील के निकलते ही उस सुंदर नामक बंदर का पूछ उस लकड़ी में फास गया। अब सुंदर अपनी पूछ को निकालने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी पूछ निकलने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी मिस्त्री और कारीगर वहाँ आने लगे।

सुंदर सोचता था कि इंसान बंदरो को मर देते है या फिर पकड़ के कई तरह के काम करवाते है। अब वह अपनी पूछ को और तेजी से निकालने लगा। फिर भी कुछ न हुवा और वह बंदर वही मर गया।

कुछ ऐसी moral stories होती है जो काफी पुरानी moral stories in hindiहोती है जिसको हर एक ने पढ़ा हुआ होता है। वह कुछ ऐसी अच्छी नई moral stories in hindi होती है जिसको अभी तक कम लोगो ने ही पढ़ा हुआ होता है।

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सपने का धनी तुला moral story in hindi

सपने का धनी तुला moral story in hindi
सपने का धनी तुला moral story in hindi

कही दूर एक पंडित रहा करता था। उसका नाम तुला था। एक बार वह अपने गाँव को छोड़ कर किसी दूसरे राज्य में पैसा कमाने जा रहा था। उसे रास्ते में एक व्यक्ति ने एक सत्तू से बहरा एक घड़ा दान किया। सत्तू से बहरा घड़ा पाकर तुला बहुत  खुश हुआ।

कुछ दूर चलने के बाद वह एक कुम्हार के घर पंहुचा। कुम्हार ने तुला को आराम करने के लिए एक कमरा दिया। उस कमरे में एक चारपाई बिछी हुए थी और काफी मात्रा में मट्टी के बंतर और खिलवाने रखे हुए थे। तुला पंडित के हाथ में उस समय एक डंडा भी था।

वह कुम्हार बहुत ही अमीर था। तुला पंडित सोचने लगा की मुझे में मिट्टी के बर्तन और खिलवने का कारोबार करना चाहिए। मैं सबसे पहले इस सत्तू को बेच दुगा। उसके बाद मैं मिट्टी के बर्तन बनाने वाली मशीन को खरीद लगा उसके बाद मिट्टी भी खरीद लगा।

पहले मैं खुद ही मिट्टी के बर्तन बनाऊगा। उसको खुद ही बाजार में बेचूगा। कुछ ही समय में मैं खूब पैसा एकठा कर लूगा। उसके बाद और काम करने वाले को रख लूगा।

इस तरह में सबसे अमीर व्यक्ति बन जाऊगा। अमीर बनने के बाद मैं कई शादी कर लूगा। मेरी जो भी पत्नी सबसे ज्यादा सुंदर होगी मैं उससे ही प्रेम करुँगी और जो पत्नी मेरे बातो का प्लान नहीं करेगी उसे मैं इस डंडे से इस तरह से मरुँगा। यह कहने के बाद वह अपने हाथ के डंडे से तेजी के साथ बरतो को मारने लगा। सबसे पहले उसका सत्तू से भरा घड़ा फुट गया उसके बाद कुम्हार के कई मिट्टी के बरतन और खिलौने फुट गए।

फूटने की आवाज सुनकर कुम्हार कमरे के अंदर आ गया। तुला की यह हरकत देख कुम्हार गुस्से से पागल हो गया। कुम्हार ने तुला से अपने नुकसान के पैसे मांगे। तुला के पास कोई भी पैसा नहीं था। अब तुला को कुम्हार के घर काम करना पड़ा। और तुला का सपना उस सत्तू के मटके के साथ टूट गया।

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moral stories in hindi के कई प्रकार होती है। कुछ नैतिक कहानियाँ जानवरो पर लिखी होती है तो कुछ इंसान पर लिखी होती है। लेकिन सभी नैतिक कहानियाँ का एक ही लक्ष्य होता है कि नैतिक कहानियाँ को पढ़ने वाले को कुछ न कुछ सीख जरूर मिले। इसके साथ ही नैतिक कहानियाँ लिखने वाले यह भी ध्यान रखते है कि उनकी कहानी से अच्छी से अच्छी और बेहतर से बेहतर सीख मिल सके।

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