Panchtantra Ki kahaniya and stories in hindi with moral for kids

their are lots of Panchtantra Ki kahaniya in books and on internet. here we collect some interesting Panchtantra Ki kahaniya in hindi written for kids with moral.

शेर और गधे की दोस्ती

Panchtantra Ki kahaniya शेर और गधे की दोस्ती

एक बार शेर और गधे में दोस्ती हो गई। जब शेर और गधे जंगल में निकले तो उन्हें देखकर जंगल के सारे जानवर इधर उधर भागने लगा।

यह देखकर गधा बहुत ही खुश हुआ। उसे लगा की उससे डर कर जंगल के बाकि जानवर भाग रहे है।

इसी तरह कुछ दिन बिता। वह गधा अब बिलकुल भूल गया था की जंगल के जानवर उससे नहीं बल्कि शेर से डरते है। एक बार शेर और गधा एक भेडियों के झुंड के पास पहुचे।

भेडियों के झुंड देखकर गधा जोर जोर से चिलाने लगा। उसकी आवाज सुनकर भेडियों का झुंड इधर उधर भागने लगा। गधा जोर जोर से चिलाते हुए उनके पीछे भागने लगा।

कुछ देर बाद वह गधा शेर के पास आया। तो शेर ने उससे पूछा, “क्यों मित्र आज तुम इतनी जोर से क्यों चिला रहे थे।”

इस पर गधे ने कहा, “देखा नही वह मुझसे कितना डर रहे थे।”

इस पर शेर ने कहा, “वह तुम से नही बल्कि वह जानते है कि मै तुम्हारा दोस्त हु।”

अब गधे को समझ आ गया। गधे ने कहा, “मुझे समझ में आ गया कि, दुसरे के बन पर किसी से दुश्मनी नही लेनी चाहिए।”

कहानी से सीख- दूसरे के बल पर किसी से दुश्मनी नहीं लेनी चाहिए।

the moral of Panchtantra Ki kahaniya is No one should take enmity with anyone else.

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अँधा और लंगड़ा

अँधा और लंगड़ा Panchtantra Ki kahaniya

बहुत पहले एक धनी आदमी के पास एक बगीचा हुआ करता था। उस बगीचे में रसिले आम के पेड़ था। जब वे पेड़ फल लिया करते थे तब धनी व्यक्ति की को बगीचे की देख भाल करने के लिए रखता था।

पर वह धनी व्यक्ति जिसे भी रखता था। वह उसके बहुत से फल चुरा लिया करते थे। इस कारण वह धनी व्यक्ति परेशान रहता था।

एक बार उस धनी आदमी को दो आदमी मिली जिसमे से एक लंगड़ा और एक अँधा था। उस धनी व्यक्ति को एक उपाय सुझा।

उसने उन दोनों को बगीचे की देख भाल के लिए रख लिया। उसने सोचा एक अन्धा है जिसे कुछ भी नहीं दिखता और एक लंगड़ा है जो की फलो को तोड़ नही सकता है।

कुछ दिन गुजरे एक रात अँधा और लंगड़ा व्यक्ति को जोरो सा भूख लगी थी क्यों की उन्होंने कुछ भी नही खाया था।

तो वह सोचने लगे की वह फल कैसे तोड़े और खाए। तो फिर उन्हें समझ आया की अंधे व्यक्ति के कधे पर लंगड़ा व्यक्ति बैठ जाए और वह फल तोड़ सके।

तो उन्होंने इसे ही कर के फल तोड़े और अपनी भूख मिटाई। अगले दिन फिर उन्होंने खाना नही खाए। रात को उन्होंने फिर से फल खा लिए।

इसे कुछ दिन गुजरा और बगीचे के सारे फल ख़त्म हो गाए। फिर वह दोनों उस बगीचे से गायब हो गया। और अमीर व्यक्ति को भुधि काम न आई।

अब अगली बार से वह अमीर व्यक्ति अपनी बगीचे की देख भाल खुद करने लगा।

कहानी से सीख- हमें अपने काम खुद से करना चाहिए।

the moral of Panchtantra story is We should do our work by ourselves.

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Panchtantra Ki kahaniya

व्यापारी और उसका गधा

Panchtantra Ki kahaniya व्यापारी और उसका गधा

बहुत पहले की बात है। किसी गाव में एक व्यापारी हुआ करता था। उसके पास एक गधा भी था। वह व्यापारी नमक का व्यापर किया करता था। वह गाव से सहर में नमक ले जाकर बेचा करता था।

व्यापारी नमक की बोरी गाधे की पिठ पर लाद कर शहर ले जाय करता था।गाव और शहर के बिच एक नदी पड़ता था।

एक बार नदी पर करने में गधे का पैर फिसल गया और गधा नदी में गिर गया। नदी में गिराने के कारण सारा नमक नदी के पानी में बह गया।

इस वजह से गधे के पीठ का भार ख़त्म हो गया। नमक बह जाने के बाद व्यापारी को शहर जाने का कोइ मतलब ही नही बनता। इसी लिए वह व्यपारी वापस घर की ओर चल पड़ा।

अगले दिन गधे जान बुझ कर नदी में गिर गया और वह व्यपारी फिर घर की ओर चल पड़ा।

अब गधे को अच्छा उपाय मिल गया था अपने पीठ का भार कम करने का और काम से बचने का।

तीसरे दिन गधे ने ऐसा ही किया। इस बार व्यपारी को सब कुछ समझ आय गया। अगले दिन व्यपारी ने गधे की पीठ पर रुई की बोरी लदा।

गधा तो आखिर कर गधा ही होता है। वह फिर से नदी में जा कर गिर गया। अब रुई में पानी भर गया। अब रुई अपने असली वाजन से कई गुना भरी हो गया था।

अब गधे से चला भी नहीं जा रहा था। उस व्यपारी ने गधे की पिटाई करते हुए शहर ले गया और गाव ले कर आया।

इसके बाद गधे ने फिर नदी में गिरने की जुरत नही की।

कहानी से सीख- “हमें अपना काम पूरी ईमानदारी से करना चाहिए।”

the moral of Panchtantra ki kahani is We should do our work honestly.

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