बेस्ट तेनालीराम स्टोरी और कहानी ज्ञान-सीख के साथ हिंदी भाषा में tenali rama story in hindi

तेनालीराम स्टोरी हिंदी (tenali rama story in hindi) में आपका मनोरंजन भी करेंगे। आपको तेनालीराम की हिंदी स्टोरी tenali rama story in hindi आपका मनोरंजन तो करेगा ही साथ ही आपको सीखने को भी बहुत कुछ देगा। बुद्धिमान का दूसरा नाम ही तेनालीराम है।

तेनालीराम के हर एक कहानी से आपको कुछ नया ही सिखाने को मिलेगा। आप तेनालीराम की कहानी (tenali rama ki kahani )से बहुत कुछ सीख सकते है। हमने यहाँ पर तेनालीराम की स्टोरी (tenali rama hindi story)हिंदी में लिखा है। जिसे पढ़ कर आप बहुत कुछ सीख और समझ सकते है।

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तेनालीराम की बुद्धि tenali rama story in hindi

तेनालीराम की बुद्धि tenali rama hindi story
तेनालीराम की बुद्धि tenali rama hindi story

बहुत समय पहले की बात है। विजय नगर में हद से ज्यादा गर्मी पड़ रही थी। गर्मी इतनी ज्यादा पड़ रही थी कि हरे-भरे बगीचा पूरी तरह से सुख गए थे। बड़ा से बड़ा पेड़ भी सुख चला था। लोगो को दूर-दूर तक पानी नजर नहीं आता था। तालाब, नदी और कुए सुख चले थे। लोग पानी के लिए बहुत परेशान हो रहे थे।

तेनालीराम अपने घर के पीछे घूम रहा था। उसके घर के पीछे एक बगीचा भी था। अब वह बगीचा सूखता जा रहा था। बगीचे का हर एक पेड़ पानी के लिए तरस रहा था। उस बगीचे के पास ही एक कुआ था। तेनालीराम ने उस कुआ में देखा। उस कुआ में पानी तो था लेकिन बहुत निचे। एक से दो बल्कि पानी निकालने में कोई भी अपनी हिम्मत छोड़ दे।

तेनालीराम अभी सोच ही रहा था कि कैसे बगीचे को पानी दिया जाए ताकि यह फिर से हरा भरा हो सके। तभी उसकी नजर 4 व्यक्ति पर गई। वह चारो व्यक्ति तेनालीराम के घर की ओर इशारा कर रहे थे। वह तेनालीराम के घर के बारे में कुछ बात भी कर रहे थे। तेनालीराम को यह समझने में देर न लगा कि वह कोई और नहीं बल्कि चोर है। तेनालीराम के दिमाग में एक योजना आया।

तेनालीराम ने अपने बेटे से तेज आवाज में कहा, मैं सोच रहा हूँ कि हमें अपना वह बक्सा इस कुआ में डाल देना चाहिए, जिस बक्से में हमने सोना, चांदी और असरफियाँ रखी है। किसी को सक भी नहीं होगा कि हमने अपनी कीमती चीज को इस कुआ में रखा  है।

तेनालीराम का बेटा जोर से कहता है, आप जैसा कहे। उसके बाद तेनालीराम और उसका बेटा घर में चले जाते है। कुछ ही देर के बाद वह एक बक्सा भी लेकर आते है। वह बक्सा काफी भारी होता है। वह दोनों इस बक्से को कुआ में डाल देते है। कुआ में बक्सा गिरनी के आवाज को वह चारो चोर सुन लेते है।

इसके साथ ही उन चोरो ने तेनालीराम और उसके बेटे की बात को भी सुन लिया था। वह सभी चोर बहुत ज्यादा खुश हुए । उसके बाद वह वहाँ से चले गए।

रात होते ही वह चारों चोर उस कुएं के पास आते है। वह कुए के पानी को निकलना शुरू कर देते है। वह बहुत मेहनत के साथ उस कुए के पानी को निकालते है। वह सभी कुए के पानी को सारी रात निकालते रहते है। अब सुबह होने को होता है, तभी उन्हें एक बक्सा नजर आता है। सभी चोर बहुत खुश होते है। वह एक दूसरे से कहते है कि अब हमें कोई भी काम करने की जरूरत नहीं होगी। फिर वह जल्दी-जल्दी कुए में से बक्से को बाहर निकालते है। जब कुआ में से बक्सा निकालते है और उसे खोलते है तो वह चकित रह जाते है। उस बक्से में सोने और असरफियाँ के स्थान पर बड़े-बड़े पत्थर होते है। उस बक्से को बस पत्थर से भरा हुआ होता है।

वह चोर समझ जाते है कि यह सब तेनालीराम की बुद्धि है। अब वह अपनी जान बचाने के लिए जितना जल्दी हो सकता था। उतना जल्द भागते है। सुबह होता है और तेनालीराम अपने बगीचे में आता है तो उसे अपने बगीचे में चारो और बस पानी ही पानी नजर आता है। वह बहुत खुश होता है कि उसकी योजना सफल हो गई।

जब तेनालीराम ने यह घटना महाराजा को बताया तो वह बहुत हसे और बोले शायद चोरो को नहीं मालूम था कि वह तेनालीराम के घर में आए है।

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तेनालीराम के खिलाफ षड्यंत्र- तेनालीराम की कहानी

तेनालीराम के खिलाफ षड्यंत्र- tenali rama hindi story
तेनालीराम के खिलाफ षड्यंत्र- tenali rama hindi story

एक दिन की बात है। रोज के तरह आज भी महाराज कृष्णदेव राय का दरबार लगा था। दरबार में अभी तक तेनालीराम नहीं आये थे। महाराज दरबारियों के साथ किसी विषय पर बात कर रह थे। बात करते ही करते बात चतुरता पर आ गई। महाराज के दरबार में मौजूद बहुत से दरबारी, मंत्री और राजगुरू भी तेनालीराम से जलते थे। उन्हें लगता था कि तेनालीराम के कारण उन्हें अपने कौशल को महाराज को दिखने का मौका नहीं मिलता है।

अन्तः तेनालीराम के गैर मौजूदगी में महाराज के सामने तेनालीराम के विरुद्ध बाते कहने का अच्छा मौका था। एक मंत्री बोल उठा, महाराज आपके दरबार में बुद्धिमान व्यक्ति की कमी नहीं है, आपके दरबार में तेनालीराम से भी बुद्धिमान व्यक्ति मौजूद है। अगर उन्हें मौका मिले तो वह अपने बुद्धि को दिखाकर, यह सिद्ध कर सकते है कि वह बुद्धिमान है।

पहले मंत्री की बात ख़त्म होते ही एक और दरबारी भी बोल उठा, तेनालीराम के सामने किसी को अपने बुद्धि का इस्तेमाल करने का मौका ही नहीं मिलता है। जब भी कोई बुद्धि की बात होती है तो तेनालीराम अपनी टांग अड़ा देता है।

इस तरह वह ही सभी चतुराई का श्रेय ले जाता है। तभी एक और मंत्री भी बोल उठा, क्षमा करें महाराज! आप खुद भी तेनालीराम को कुछ अधिक ही बुद्धिमान समझते है और उसकी बुद्धि को ज्यादा महत्व देते है। हर चतुरता का कार्य आप बस तेनालीराम को ही देते है और देना पसंद भी करते है। आपको दूसरे लोगो को भी अवसर देना चाहिए ताकि वह अपनी चतुरता को सिद्ध कर सके।

इतना कुछ सुनने के बाद महाराज कुछ हद का गंभीर हो गए। वह यह भी जानते थे कि दरबार के बहुत से सदस्य तेनालीराम के प्रति जलन रखते है। आज उन्हें तेनालीराम के विरोध बोलने का मौका मिला है तो बस बोलते जा रहे है।

महाराज सोचाने लगे कि आखिर कैसे इन्हे समझाया जा सकता है कि तेनालीराम इनसे बुद्धिमान है। तभी उनकी नजर एक कोने में रखी भगवान की मूर्ति के पास जल रही धुप बत्ती पर गई।

अब महाराज ने दरबारियों की परीक्षा लेना चाहा। महाराज बोले, अगर आपको लगता है कि आप लोग तेनालीराम से अधिक चतुर है और मैं आप लोगो को तेनालीराम से ज्यादा मैं पसंद करू तो आपको लोगो को एक परीक्षा देना होगा। जो भी इस परीक्षा में सफल होगा उसे मैं तेनालीराम से ज्यादा बुद्धिमान मान लूगा और उसे तेनालीराम का स्थान दिया जाएगा।

ठीक है! सभी दरबारी एक साथ बोल उठे। वह मन ही मन खुश हो रहे थे। महाराज ने कहा, क्या आप लोगो को वहा दूर पर मौजूद धुप बत्ती जलती हुई नजर आ रही है। फिर से सभी एक साथ बोल उठे, हाँ!। महाराज ने कहा, आप में से जो भी उस धुप के बत्ती धुएं को दो हाथ तक नाप लेगा तो उसे बुद्धिमान समझा जाएगा। सभी दरबारी सोच में पड़ गए। आखिर धुआँ को कैसे नापा जा सकता है। फिर भी अगर महाराज ने कहा है तो हमें एक बार प्रयत्न जरूर करना चाहिए।

एक-एक कर धुप बत्ती के पास जाते और अपने हाथ से दो हाथ धुआ नापने की कोशिश करते। धुआँ नापना मुश्किल होता था। धुआँ इधर से उधर उड़ जाय करता था। यह सिलसिल बहुत देर तक चलता रहा। एक-एक करके सभी दरबारी ने इसको करने का प्रयत्न किया लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पा रहा था। महाराज मन ही मन खुश हो रहे थे। जब सभी दरबारी थक गए तब ही तेनालीराम वहा आ खड़े हुए।

दरबारी ने महाराज से कहा, यदि हम इस कार्य को न कर सके तो तेनालीराम भी नहीं कर सकता है। इसे इस कार्य को करने का आदेश दे। महाराज ने तेनालीराम से भी कहा, आपको उस जलती धुप बत्ती के धुए को दो हाथ नापना है।

तेनालीराम बोले महाराज यह तो मुश्किल है। लेकिन आपके आदेश को मैं टाल भी नहीं सकता है। इसके बाद तेनालीराम ने एक सैनिक को अपने पास बुलाया और उसके कान में कुछ कहा और उसे कही भेज दिया। अब  दरबार में बिलकुल शांति थी।

सभी बस यह सोच रहे थे कि आखिर तेनालीराम कैसे धुआँ नाप सकते है। कुछ ही देर के बाद वह सैनिक अपने हाथ में दो हाथ के बराबर एक सीसे का बोतल/नली लेकर आया। उसको सैनिक ने लेकर तेनालीराम दूप बत्ती के पास गए। जिस तरफ से धुआँ निकल रहा था उधर ही उस बोतल/नली का मुँह कर दिया।

कुछ ही समय उस दो हाथ के बराबर बोतल/नली में धुआँ भर गया। उसके बाद तेनालीराम उसके मुँह को बंद कर दिया और उसको राजा के सामने लेकर आये और बोले। यह रहा दो हाथ के नाप के बराबर धुआँ। इसे कोई भी नाप कर देख सकता है।

तेनालीराम को इस तरह धुआं को नापते देख कर दरबार में मौजूद वही सभी लोग अपने मुँह को छुपाने लगे जो तेनालीराम से जलते थे और महाराज को तेनालीराम के बारे में बुरा कहा था।

महाराज ने कहा, देख लिया आप लोगो ने कि तेनालीराम को मैं क्यों ज्यादा प्रेम करता हूँ और क्यों किसी बुद्धि की सलाह मैं तेनालीराम से लेता हूँ।

काफी बार ऐसा भी होता है कि तेनालीराम की कहानी में कठिन शब्द के इस्तेमाल के कारण उसे पढ़ना मुश्किल हो जाता है। इसलिए ही हमने यहाँ पर तेनालीराम की हिंदी स्टोरी में आसान से आसान शब्दों का इस्तेमाल किया है।

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न हल होने वाली समस्या- tenali rama hindi story

न हल होने वाली समस्या- tenali rama story in hindi
न हल होने वाली समस्या- tenali rama story in hindi

एक दिन की बात है। एक व्यक्ति जिसका नाम देव था वह दरबार में हाजिर हुआ। वह राजा ने न्याय करने की मांग करने लगा। देव नामक व्यक्ति कहा रहा था कि महाराज! आप न्याय करे मेरे साथ मेरे मालिक ने बहुत बड़ा अन्याय किया है।

महाराज ने कहा, तुम सब कुछ खुल कर बताओ तब ही मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। वह व्यक्ति बोला, महाराज मेरा नाम देव है। आज से दो दिन पहले की बात है। मेरे मालिक कही जा रहे थे। बाहर बहुत ज्यादा धुप थी। मैं अपने मालिक को कहा, आप मुझे भी साथ लेकर चले।

मैं आपके को इस धुप में छाते से आपको बचता रहुगा। मेरे मालिक मुझे अपने साथ लेकर चल दिए। कुछ देर चलने के बाद मेरे मालिक थक गए। फिर हम एक मंदिर के पास बैठ गए।

तभी मुझे एक लाल कपडा दिखा जिसमे कुछ था। मैं अपने मालिक ने पूछा, क्या मैं देख सकता हूँ कि इस लाल कपडे में क्या है। मैं उस लाल कपडे को खोल था उसमे दो बेशकीमती हीरे थे। मुझे मेरे मालिक ने कहा। अगर तुम इस बात को किसी ने नहीं बताओगे की हमें मंदिर के पास से कीमती हीरे को पाया है तो मैं इस दो हीरे में से एक हीरा तुम्हे दे दुगा।

मैं अपने मालिक के बात पर राजी हो गया।

फिर हम उस मंदिर से पाने-पाने घर चल दिए। अगले दिन जब मैं अपने मालिक के गया तो उन्होंने मुझे मेरा हिस्सा देने से मना कर दिया। मैंने अपने मालिक ने कहा, यदि आप मेरा हिस्सा नहीं देंगे तो मैं इस बात को महाराज से कह दुगा।

इस पर मेरे मालिक ने कहा, तुम कुछ भी कर लो पर मैं तुम्हे कुछ भी नहीं देने वाला हूँ। इसके बाद आज मैं आपके पास आ खड़ा हुआ। अब आप ही न्याय कर सकते है। महाराज ने आदेश दिया कि इस देव के मालिक को पेश किया जाए।

जब सैनिक उस देव के मालिक के घर पर गए तो मालिक ने कहा मैं कुछ देर बाद दरबार में हाजिर होता हूँ। आप लोग जाए। सैनिक फिर से दरबार में आ गए। कुछ ही देर के बाद देव का मालिक दरबार में आ खड़ा हुआ।

महाराज ने उससे पूछा कि क्या तुमने दो बेशकीमती हीरे को पाया है। मालिक ने कहा, हा। क्या तुमने उस हीरे को अपने नौकर जिसका नाम देव है उसे देने को को कहा था। उस मालिक ने कहा हा, पर वह दोनों हीरा उस देव के पास ही हैं।

मैंने अपने नौकर ने कहा, इस हीरे को हमने मंदिर के पास से पाया है तो इस पर पूरा अधिकार राज्य का है। हमें इस हीरे को राज्य के हवाले जमा कर देना चाहिए। मैं खुद ही उस हीरे को जमा कर देता पर मेरे पास वक्त कुछ काम था इसलिए मैं अपने नौकर को यह काम दे दिया।

जब अगले दिन मैं अपने नौकर से हीरो को जमा करने का रसीद मांगा तो वह बात को घूमने लगा। मैंने उसे डराया भी कि मैं इस घटना को महाराज को बता दुगा। उसके बाद वही फैसल करेंगे। फिर उसने आपके पास आकर पता नहीं क्या कुछ अपने मन से कहा होगा।

मैं अपने साथ दो गवाह भी लाया हूँ। वह दोनों गवाह ने भी कहा। इन्होने मेरे सामने ही देव को हीरे दिए। अब महाराज को लगने लगा कि शायद देव ने ही हीरे को अपने पास रखा है।

महाराज, तेनालीराम और अन्य मंत्री मंथन भवन की ओर चले। सभी मंत्री बस यह कह रहे थे कि नौकर ही चोर हैं। लेकिन तेनालीराम को लगाता था कि मालिक चोर है। महाराज ने तेनालीराम से कहा आप यह कैसे कह सकते है कि मालिक के पास ही हीरे है।

उसके पास तो दो गवाह भी है। तेनालीराम ने कहा आप पर्दे के पीछे से सब कुछ देखे और मैं साबित करता हूँ कि कैसे मालिक चोर है।

तेनालीराम बाहर आया। उसने दोनों गहवा को अलग-अलग स्थान पर बैठ दिया। फिर पहले गवाह से पूछा। तुम बातो कि होरे किस चीज़ में थे। पहला गवाह बोला, कागज में। हीरे मंदिर के किस ओर थे। पहले गवाह ने कहा, दक्षिण की ओर।

अब तेनालीराम दूसरे गवाह के पास गए फिर दूसरे गवाह से पूछ। मुझे यह बताये कि हीरे किस चीज में थे। उस गवाह ने कहा, कपडे में। कपडे का रंग क्या था। तेनालीराम ने पूछा। कपडे का रंग सफ़ेद था। दूसरे गवाह ने बताया।

हीरा मंदिर की किस ओर पर पाया गया था? पश्चिम की ओर। अब तेनालीराम पहले गवाह के पास गए और बोले तुम सब कुछ झूठ बोल रहे हो। तुम्हारे साथी में मुझे सब कुछ बता दिया। अब उसे मैं कोई सजा नहीं होने दुगा। पर अब तुम सजा से बच नहीं सकते। यह सुनते ही पहला गवाह रोने लगा। उसने कहा, मुझे माफ़ करे।

मैं हीरे के बारे में कुछ नहीं जानता हूँ। मैं तो बस अपने मालिक के घर नौकरी करता हूँ। उन्होंने ही मुझे यहाँ झूठी गवाही देने को कहा था। अगर मैं यह झूठी गवाही नहीं देता तो मुझे नौकरी से निकाल देते।

अब तेनालीराम सब कुछ समझ चुके थे। तेनालीराम ने अपने साथ उस पहले गवाह को लेकर महाराज के पास गए। महाराज के सामने उस गहवा ने सब कुछ सच बता दिया। दरबार में आकर महाराज ने आदेश दिया कि इस देव के मालिक को गिरफ्तार कर लो। और इसके घर की जांच किया जाए। घर की जांच में दोनों हीरा मिल गया।

महाराज ने दंड के रूप में देव के मालिक को देव को 2 हजार असरिफया देने का आदेश दिया। इसके साथ ही महाराज ने तेनालीराम को भी उपहार दिया इस न हल होने वाली मामला को हल करने के लिए।

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यहाँ पर हमने जो भी तेनालीराम कहानी (tenali rama story in hindi)लिखी है वह सभी कहानी ज्ञान से भरी है। इसके साथ ही तेनालीराम की कहानी (tenali rama story in hindi)छोटी और अच्छी है।

छोटी कहानी को पढ़ना काफी हद तक आसान आसान होता है। छोटी कहानी को आसानी के साथ पढ़ कर ज्ञान लिया जा सकता है।

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