बहुत समय पहले की बात है। कही एक कौआ रहता था। एक दिन उस कौआ को बहुत ज्यादा प्यास लगा हुआ था।
वह पानी की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था। लेकिन उस कौआ को पीने को एक बूद पानी भी नहीं मिल रहा था।
कुछ समय के बाद उसे एक मटका दिखाई दिया। जब कौआ मटके के पास जाकर देखता है तो उस मटके में पानी तो होता है लेकिन वह पानी मटके में बहुत ज्यादा निचे होते है।
उस कौआ की चोंच इतनी लम्बी नहीं थी की वह मटके के पानी को पी सके। उस कौए के दिमाग में एक योजना आया। वह उड़कर एक स्थान पर गया और वह से एक कंकड़ को अपने मुँह में लेकर आया।
उस कंकड़ को वह मटके में डाल देता है। कुछ समय तक मटके में कंकड़ डालते रहने से मटके का पानी ऊपर आ जाता है।

जिसको वह कौआ काफी आराम से पीकर पानी प्यास बुझाता है।
यह सब घटना एक व्यक्ति देख लेता है। जिसके बाद यह कहानी जिसका नाम प्यासा कौआ (pyasa kauwa ki kahani) है. इसको लिखी जाती है।
फिर प्यासा कौआ की कहानी (thirsty crow story in hindi) प्रसिद्ध हो जाती है। इस कहानी को आज भी पढ़ा जाता है। इस कहानी को पढ़ने पर मोटिवेशन भी मिलता है।
हम अकसर काम करते रहते है फिर भी हमें जल्द परिणाम नहीं मिलता है जिसके कारण हम उदास हो जाते है।
लेकिन हमें यह कहानी सीख देती है कि हमें अपने काम को करना चाहिए। चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो। हमें एक दिन जरूर सफलता हासिल होगी।
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