हंस और कछुआ कहानी भी बहुत पुरानी कहानी में एक है। एक बार की बात किसी जंगल में एक तालाब हुआ करता था। उस तालाब के पास दो हंस और एक कछुआ रहा करते थे। वह तीनो काफी अच्छे दोस्त थे। काफी समय से वह सब वह रहा करते थे। एक बार धरती पर काफी ज्यादा सूखा पड़ गया। इसके कारण वह तालाब भी सूखने लगा। देखते ही देखते वह तालाब भी सुख गया। इससे दोनों हंस और कछुए काफी परेशान हो गए। लेकिन जल्द ही उस हंसो ने नए तालाब को खोज लिया।
नया तालाब काफी बड़ा था। पुराने तालाब से वह दुगना बड़ा था। फिर क्या था। दोनों हंस ने वह जाने को सोचा। लेकिन इस पर कछुआ काफी दुखी था। उसे भी वहा जाना था। लेकिन वह नए तालाब के पास कैसे जा सकता था। क्योंकि उसको वह जाने में काफी ज्यादा समय लग जाता था। कछुआ और दोनों हंस ने काफी सोचा। तभी कछुआ को एक उपाय आया।
उसने कहा, दोस्तों तुम दोनों अपने चोंच में एक मजबूत छड़ी को पकड़ लेना, और उस छड़ी के बीच को मैं पकड़ लुगा। फिर तुम उड़ते हुए नए तालाब की और चल देना। इस तरह से मैं नए तालाब के पास पहुंच जाउगा। इस पर दोनों हंस ने कहा, यह बहुत ही खतरनाक हो सकता है। लेकिन कछुआ कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। अगले दिन ऐसा ही हुआ।
हंस ने कछुआ को लेकर आकाश में उड़ चले। यह नजारा देखकर धरती पर रहने वाले सभी लोग परेशान हो चले। सभी लोग काफी ध्यान से आकाश की ओर देखने लगे।
इतने लोगों को एक साथ कछुए ने पहले कभी नहीं देखा था। वह खुद को रोक ना सका। उसने कहा, यह सभी तो हमें ही देख रहे है। इतना ही कहना था की उसके मुँह से छड़ी छूट गई और वह तेजी के साथ जमीन पर गिर पड़ा। गिरते ही उसकी जान चली गई।
इस कहानी (two swan and tortoise story) से हमें सिख मिलता है कि हमें कभी भी बुद्धि के साथ काम करना चाहिए। इसके साथ ही खुद पर नियंत्रण भी रखना जरुरी होता है।
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