अकबर-बीरबल की कहानी: जब बीरबल बालक बने।

अकबर-बीरबल की कहानी:- जब बीरबल बालक बने।एक बार बीरबल को दरबार में आने में देर हो गई। बादशाह अकबर बीरबल का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जैसे ही बीरबल दरबार में पहुंचे, अकबर ने उनसे देरी का कारण पूछा। बीरबल कहने लगा कि आज जब वह घर से निकल रहा था तो उसके छोटे-छोटे बच्चों ने उसे रोक लिया और कहीं न जाने की जिद करने लगा। किसी तरह बच्चों को मनाने के बाद जाने में देरी हुई।

राजा को बीरबल की इन बातों पर जरा भी विश्वास नहीं हुआ, उसने सोचा कि बीरबल देर से आने का झूठा बहाना बना रहा है। उन्होंने बीरबल से कहा कि बच्चों को समझाना इतना मुश्किल काम नहीं है। यदि वे नहीं मानते हैं तो उन्हें थोड़ी सी डांट से शांत किया जा सकता है।

akbar birbal ki kahaniya
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साथ ही बीरबल को पता था कि बच्चों के मासूम सवालों और जिद को पूरा करना बहुत मुश्किल है। जब अकबर इससे संतुष्ट नहीं हुआ तो उसने बीरबल को एक उपाय सुझाया। उसने राजा के सामने एक शर्त रखी, उसने कहा कि वह सिद्ध कर सकता है कि छोटे बच्चों को समझना बहुत कठिन होता है, लेकिन इसके लिए उसे एक छोटे बच्चे की तरह व्यवहार करना होगा और राजा को उन्हें समझाना होगा। राजा ने यह शर्त मान ली।

अगले ही पल बीरबल बच्चों की तरह रोने लगे। राजा ने उसे मनाने के लिए उसे गोद में उठा लिया। बीरबल गोदी में बैठ गया और बादशाह की लंबी मूंछों से खेलने लगा। कभी बच्चों की तरह अपना मुँह बिगाड़ लेता तो कभी अपनी मूँछें खींचने लगता। अब तक राजा को कोई आपत्ति नहीं हो रही थी।

जब बीरबल अपनी मूंछों से खेलते-खेलते थक गए तो उन्होंने गन्ना खाने की जिद की। राजा ने बालक बने बीरबल के लिए गन्ना लाने का आदेश दिया। जब गन्ना लाया गया तो बीरबल ने नई जिद्द की कि मुझे छिला हुआ गन्ना चाहिए। गन्ने को नौकर ने छीला था। अब बीरबल जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि वह चाहता है कि गन्ने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया जाए।

अपनी जिद पूरी करने के लिए गन्ने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया। जब राजा ने ये टुकड़े बीरबल को खाने के लिए दिए तो बीरबल ने उन टुकड़ों को जमीन पर फेंक दिया। यह देखकर राजा को बहुत क्रोध आया। उसने गुस्से में बीरबल से पूछा, “तुमने गन्ने को नीचे क्यों फेंका? इसे चुपचाप खा लो। डाँट सुनकर बीरबल और भी जोर से रोने और चिल्लाने लगा।

अकबर ने प्यार से पूछा, “बोलो बीरबल। रो क्यों रही हो? बीरबल ने उत्तर दिया, “मुझे बड़ा गन्ना चाहिए, छोटा नहीं।” अकबर उसके लिए एक बड़ा गन्ना ले आया, लेकिन बीरबल ने उस बड़े गन्ने को हाथ तक नहीं लगाया।

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अब बादशाह अकबर का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था। उन्होंने बीरबल से कहा कि “आपके आग्रह के अनुसार आपको एक बड़ा गन्ना दिया गया है, इसे न खाने के बाद आप क्यों रो रहे हैं?” बीरबल ने उत्तर दिया, “मैं इन छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़कर एक बड़ा गन्ना खाना चाहता हूँ।” बीरबल की इस जिद को सुनकर राजा ने अपना सिर पकड़ लिया और अपने स्थान पर जाकर बैठ गए।

उन्हें परेशान देखकर बीरबल ने बच्चा होने का नाटक करना बंद कर दिया और राजा के सामने गए। उसने राजा से पूछा, “अब क्या आप मानते हैं कि बच्चों को समझाना निश्चय ही एक कठिन कार्य है?” बादशाह ने हाँ में सिर हिलाया और बीरबल को देखकर मुस्कुराने लगे।

Conclusion

इस कहानी से हमें पता चलता है कि बच्चे बहुत मासूम होते हैं। अक्सर हम उनके मासूम सवालों का जवाब नहीं दे पाते हैं, लेकिन फिर भी उनकी जिद और जिज्ञासा को प्यार से समझाकर और कई उदाहरण देकर शांत किया जा सकता है।

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