अकबर बीरबल की कहानी: मोम का शेर | Maum Ka Sher

मोम का शेर: सालों पहले की बात है जब राजा एक दूसरे को संदेश के साथ कुछ पहेलियां भेजा करते थे। इसी प्रकार किसी राजा का दूत एक दिन रात्रि काल में मुगल साम्राज्य के बादशाह अकबर के दरबार में सूचना दे। उन्होंने एक निकिला शेर को पहेली के रूप में अपनी पहेली के रूप में दर्ज किया था। राजा ने पहेली के साथ एक संदेश भी भेजा। संदेश में लिखा था कि क्या मुगल राज्य में कोई ऐसा बुद्धिमान व्यक्ति है, जो बिना शेर के शेर को भगा सके। अब मुगल बादशाह अकबर सोच में पड़ गया कि सही शेर और कहने वाले के बिना शेर को कैसे निकाला जा सकता है। पहेली के साथ भेजे गए संदेश में यह भी साफ लिखा था कि दिए गए शेर को निकालने के लिए एक शख्स को सिर्फ एक मौका मिलेगा।

अकबर बीरबल की कहानी

अकबर बहुत परेशान हुआ। उन्हें लगा कि यह बहुत कठिन कार्य है और यदि वे सिंह को पिंजरे से बाहर नहीं निकाल सके तो मुगल राज्य की बहुत बदनामी होगी। यह सब सोचते-सोचते उसने दरबार में उपस्थित सभी लोगों की ओर देखा और पूछा, ‘क्या कोई है जो इस पहेली को सुलझा सके’, लेकिन सभी यही सोचने में मग्न थे कि यह कैसे संभव हो सकता है। जब अकबर के प्रश्न का किसी ने उत्तर नहीं दिया तो उसे अपने वजीर बीरबल की याद आई जो सभा में उपस्थित नहीं थे। उन्होंने तुरंत दरबान को भेजकर बीरबल को दरबार में हाजिर होने का आदेश दिया, लेकिन अफसोस बीरबल किसी सरकारी काम से राज्य से बाहर गए हुए थे।

Maum Ka Sher

रात भर अकबर इसी सोच में डूबा रहा कि इस पहेली को कैसे सुलझाया जाए। अगले दिन फिर दरबार लगा, लेकिन बीरबल की कुर्सी खाली देखकर अकबर उदास हो गया। बादशाह ने एक बार फिर दरबारियों से पूछा, ‘क्या किसी के पास इस शेर को पिंजरे से बाहर निकालने का कोई विचार है।’ इसी बीच एक दरबारी अकबर के सामने आया और उसने शेर को पिंजरे से बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। . दूसरे कुली ने पहेली को सुलझाने के लिए एक जादूगर को बुलाया, लेकिन वह भी असफल रहा।

अकबर बीरबल की मोम का शेर की कहानी

कोशिश करते-करते शाम हो गई, तभी बीरबल दरबार में पहुंचे। अकबर को परेशान देखकर बीरबल ने पूछा, ‘क्या बात है बादशाह, आप इतने परेशान क्यों हैं?’ बादशाह ने फौरन बीरबल को शेर से जुड़ी पहेली के बारे में सब कुछ बता दिया। अकबर ने बीरबल से पूछा, ‘क्या आप इस शेर को पिंजरे से बाहर निकाल सकते हैं?’ बीरबल ने कहा, ‘हां, मैं कोशिश कर सकता हूं।’ अकबर बहुत खुश हुआ, क्योंकि मुगल साम्राज्य में बीरबल जैसा बुद्धिमान और चतुर कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था। कोई नहीं था।

शेर को पिंजरे से बाहर निकालने के लिए बीरबल ने अकबर से कहा कि उसे दो लाल-गर्म लोहे की छड़ें और सलाखों की जरूरत है। सम्राट ने तुरंत इसकी व्यवस्था करने को कहा। जैसे ही बीरबल को लोहे की छड़ मिली, वह बिना छड़ को छुए पिंजरे के अंदर पहुंच गया और नकली शेर पर रख दिया। गर्म लोहे की छड़ के संपर्क में आते ही शेर पिघलने लगा, क्योंकि वह मोम का शेर था। देखते ही देखते पूरा शेर मोम के रूप में पिंजरे से बाहर आ गया।

बीरबल की इस बुद्धिमत्ता से अकबर बहुत प्रसन्न हुआ। उन्होंने बीरबल से पूछा, ‘अरे! आखिर तुम्हें कैसे पता चला कि यह पिंजरे में कैद मोम का शेर है.’ बीरबल ने बड़ी विनम्रता से जवाब दिया, ‘हुजूर, बस शेर को गौर से देखने की जरूरत थी। पहेली के बारे में जानने के बाद जब मैंने इसे ध्यान से देखा तो मुझे लगा कि यह मोम का शेर हो सकता है। साथ ही राजा ने यह भी नहीं बताया कि शेर को कैसे बाहर निकालना है, इसलिए मैंने उसे पिघलाकर बाहर निकाल लिया।

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इधर, बीरबल दरबार में जयकारे लगाने लगे। उधर, पहेली लेकर अकबर के दरबार में पहुंचा राजदूत अपने राज्य लौट आया और राजा को बीरबल के इस पराक्रम के बारे में बताया। कहा जाता है कि उसी दिन से राजा ने ऐसी पहेलियां भेजना बंद कर दिया।

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