सत्य घटना: बहुत ही डरावनी भूत की कहानियाँ हिंदी में
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वैसे तो भूत प्रेत की बहुत से कहानियां मौजूद है। पर भी हमें अच्छी सी भूत की कहानियां (bhoot ki kahaniya) पढ़े गए।
हमें ने कुछ भूत की कहानियाँ(bhoot ki kahaniya) लिखी है और आप के सामने पेश कर रहे है। इन्हे पढ़ने पर आप को डर भी लग सकता है।
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list of bhoot ki kahaniya in hindi
- रास्ते का भूत bhoot ki kahani
- स्कूल में रहने वाला भूत bhoot ki kahani
- चाची की आत्मा bhoot ki kahani
- शैतानी शक्तियों का मज़ाक उड़ाना पड़ा भारी bhoot ki kahani
रास्ते का भूत bhoot ki kahani
मैं दिल्ली के एक फैक्ट्री में साफ- सफाई का काम करता हूं। मेरा घर फैक्ट्री से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। मेरे पास एक साइकिल है। जिससे मैं अपने घर से फैक्ट्री और फैक्ट्री से घर आता-जाता हूं। एक दिन जब मैं फैक्ट्री से घर जा रहा था । तो रास्ते में मुझे एक लड़की दिखाई दी और वह मुझे घूर-घूर के देख रही थी।
मैं उसे टालते हुए अपने घर की ओर निकल पड़ा। दूसरे दिन फिर वही लड़की मुझे उसी जगह पर दिखाई दी और वह मुझे फिर से घूरने लगी फिर भी मैंने उसकी तरफ पलट के नहीं देखा और अपने घर की ओर निकल पड़ा। मैं उसके पास रुका भी नहीं क्योंकि मुझे उस लड़की से डर लग रहा था। वह लड़की कई दिनों तक मुझे देखती रहती थी।
एक दिन वह लड़की वहां पर नहीं दिखाई दी।तो मैं सोच में पड़ गया। ऐसा क्या हुआ जो वह लड़की आज नहीं आई । फिर मैं अपने घर की तरफ निकल पड़ा। एक हफ्ते बाद मेरे घर पर एक चिट्ठी आई और मुझे पता चल गया था कि यह चिट्ठी उसकी ही है। उसमें उसका नाम प्रीति लिखा हुआ था।और उसमें से एक फोटो निकली थी। जो कि उसी लड़की की थी। मैं चौक गया की उसे मेरा पता कैसे चला।
उस चिट्ठी में लिखा हुआ था.कि कल जब फैक्ट्री से निकलो तो जहां पर मैं खड़ी रहती हूं वहां पर मेरा इंतजार करना उस के दूसरे दिन मैं वहां पर पहुंच गया। तो वह लड़की वहां पर नहीं खड़ी थी। मैंने काफी इंतजार किया फिर मैं अपने घर की तरफ चल दिया.और तभी मुझे याद आया कि वो जो चिट्ठी आई थी। उसमें उसका पता तो होगा। फिर मैं उसका पता पढ़ कर उसके पते के अनुसार मैं उसके घर मिलने के लिए गया।
दरवाजा खोलते ही एक आदमी आया और बोला कि क्या काम है तो मैंने बोला कि मुझे प्रीति से मिलना है। तो उस आदमी ने बोला कि मैं उसका पापा हूं और प्रीति को मरे हुए 2 महीने हो चुके हैं। मेरे हाथ पांव कांपने लगे मैं सोच में पड़ गया कि वह लड़की जो मुझे रास्ते में मिली थी और जिसने मुझे चिट्ठी भेजी थी। वह कौन होगी? मुझे लगा कि वह उसकी आत्मा होगी ।
तभी प्रीति के पापा ने मुझे दिखाया कि देख लो उसकी तस्वीर पर माला पड़ा हुआ था। तभी मैं भागकर अपने घर पहुंचा फिर मैंने उस चिट्ठी को जला दीया .और उस दिन के बाद से मैंने कभी भी अनजान लोगों से मिलना और बात करना बंद कर दिया।
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स्कूल में रहने वाला भूत
कई साल पहले की बात है । मैं जोधपुर के एक छोटे से गांव में प्राइमरी स्कूल में अध्यापक था। मेरे साथ उसी स्कूल में 5 अध्यापक और थे । उन लोगों की शादी हो चुकी थी । और उनका अपना – अपना परिवार था । और मैं कुंवारा था। मेरी शादी नहीं हुई थी ।
सब लोग गांव में मकान भाड़े से लेकर रहते थे । और मैं स्कूल के पास ही एक अलग छोटा सा कमरा बना हुआ था। जिसमें मैं अकेला ही रहता था । स्कूल के चारों ओर खेत और झाड़ियां थी । स्कूल गांव से थोड़ी दूरी पर था । स्कूल में बिजली नहीं थी ।
और मैं अकेला अपने कमरे में लालटेन जला के खाना बनाता । और खाकर सो जाता था। तभी मेरे एक दोस्त ने बोला कि आप अपना टाइम कैसे निकलते हो । कल से हम लोग खाना खाने के बाद रात में तुम्हारे पास आएंगे । तुम्हारा भी थोड़ा हंसी मजाक में टाइम पास हो जाएगा । दूसरे दिन स्कूल से छुट्टी होने के बाद घर पर जाकर खाना-वाना खा के अपने कहे अनुसार मेरे सारे मित्र रात को 10:00 बजे मेरे घर पर आ गए। और हम लोग बातें करने लगे ।
थोड़ी रात बीत गई । तभी हमारे एक मित्र ने कहा कि यहां पर ना तो बिजली है । ना तो टीवी है . हम लोग बैठकर यहां पर क्या करेंगे चलो । आज हम लोग थोड़ी मस्ती करते हैं। दूसरे मित्र ने बोला हम अपने साथ ताश के पत्ते लाए हैं । चलो खेलते हैं और हम लोग धीमी लालटेन को जलाकर।
उसके सामने बैठकर ताश खेलना चालू कर दिया । थोड़ी देर बाद गर्मी लगने लगी । तो हमने सारी खिड़कियां खोल दी तो अच्छी हवा आने लगी । और हम लोग ताश खेलने में व्यस्त हो गए। तभी हमारे तीसरे मित्र ने बोला कि हमारे पास बीड़ी और माचिस भी है।
बोलो तो बीड़ी सुलगाए हम लोगों ने बोला क्यों नहीं । तो हमारे मित्र ने चार बीड़ी जलाई । सब ने एक – एक बीड़ी अपने हाथ में ले ली। तभी एक मित्र ने बोला अरे मुझे भी तो पिलाओ हमने हंसकर बोला।
क्यों मजाक कर रहे हो । अभी तो तुमने बीड़ी अपने हाथ में ली थी। तो उसने बोला कि हमको तो दिया ही नहीं हमको लगा। कि यह मजाक कर रहा है.और हमने यह बात हंसी में टाल दी । दूसरे दिन मेरे मित्र लोग मेरे घर पर फिर से आ गए। और बीड़ी ताश के पत्ते खेलने लगे यह सिलसिला फिर देर रात तक चलता रहा।
तभी मुझे लगा की खिड़की से कोई लंबा सा हाथ अंदर आया और मेरी बीड़ी लेकर चला गया। तब तो मनो की मेरे होश उड़ गए। लेकिन उसका चेहरा हमें दिखाई नहीं दिया । क्योंकि बाहर अंधेरा था और अंदर लालटेन धीमी जल रही थी ।
यह घटना चार-पांच दिन तक मेरे साथ होती रही। तो मैंने छठे दिन जब सवेरे मेरे मित्र लोग स्कूल में पढ़ाने आए । तब मैंने यह बात सबको बताई । सब ने बोला हां मैंने भी सुना है ।
कि स्कूल के अंदर किसी अध्यापक ने किसी कारण जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी । और उसी की आत्मा आज भी स्कूल के आस पास भटकती रहती है । तो 1 दिन एक मित्र ने बोला आज हम उससे पूछेंगे कि आप कौन हो । क्या पता कोई आदमी ही हो । और हमारी तरह वह भी रात में टाइमपास करने आता हो ।
हमने बोला कि ठीक है । रात में मेरे सारे मित्र मेरे घर आए आज तो पांचवा आदमी भी खिड़की से अंदर आकर बैठ गया । साथ में ताश खेला और बीड़ी भी पिया जब खेल खत्म हो गया । तो वह खिड़की से बाहर जाने लगा तभी मैंने आवाज दी काका कल फिर से आओगे । उसने कुछ नहीं बोला ।इतना सब होने के बाद उसने हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था। हमारे एक मित्र ने उसके मुंह पर टॉर्च जलाई ।
तभी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया । लेकिन टॉर्च के सामने हम लोगों ने उसका थोड़ा बहुत चेहरा देख लिया था। वह काला काला आदमी मटमैली सफेद रंग की धोती और मुंह पर बहुत सारे चेचक के निशान थे । सब लोग बहुत डर गए।
सब ने बोला चलो गांव वालों को बताते हैं। हमने बोला नहीं बच्चों के भविष्य का सवाल है । कोई अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं भेजेगा तभी एक मित्र ने बोला चलो कल से जहां पर यह जलाया गया था । वहां पर बीड़ी माचिस ताश के पत्ते रख देते हैं ।
क्या पता इसको भी इन चीजों में दिलचस्पी हो दूसरे दिन हम लोगों ने ऐसा ही किया तो रात में वह अंदर खेलने नहीं आया। हम लोग ऐसा चार-पांच दिन में एक बार रख के आ जाते थे । एक बार गांव वालों ने देख लिया और पूछा तो हमने सारी बातें बता दी । तब से आज भी वहां पर गांव वाले बीड़ी माचिस ताश के पत्ते हफ्ते में एक बार जरूर चढ़ाते हैं। और आज भी वह आत्मा किसी को परेशान नहीं करती।
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चाची की आत्मा bhoot ki kahani
यह एक आंखों देखी घटना है। एक बार गर्मी के छुट्टियों में मैं और मेरी बहन मामा के घर घूमने गए थे। मामा के घर में नानी मुझे बहुत प्यार करती थी । और मेरी बहनों को यह पसंद नहीं आता था । क्योंकि वे थोड़ी शरारत वाली और थोड़ी मस्ती भी करती थी।
एक दिन मेरी मां की तबीयत अचानक खराब हो गई। तब मेरे मामा मुझे मेरे घर ले आये। वो भी मेरे घर पर रुक गए। जब मेरी मां की तबीयत सही हो गई। तब मामा जी बोले कि मैं अपने घर जा रह हूँ।
मैं मामा से कुछ बोल पाता इसके पहले ही मां ने मामा को बोला हां भैया! अब मैं ठीक हूं आप घर चले जाइए। मेरे घर पर मैं और मेरी मां ही बची , दो-चार दिन बीत गया । तब एक दिन रात में मुझे जोर की प्यास लगी। और मैं आंगन में पानी पीने के लिए उठी।
तभी मेरी नजर ऊपर गई और मैंने देखा की धुआ जैसा कुछ उठ रहा है । तब मैंने अपनी मां को जगाया और माँ को बोला माँ ऊपर देखो । यह काला काला धुंआ जैसा क्या उठ रहा है। मेरी मां समझ गई ।
कि यह मेरी चाची की आत्मा जो मुझे लेने आई थी। क्योंकि मरने से पहले मेरी चाची ने कहा था। कि मैं तुम्हारी बड़ी बेटी को छोडूंगी नहीं . मेरी माँ ने मुझे सुला दिया । और खुद घर के पीछे बैर का पेड़ लगा था । उसी के नीचे बैठकर रोने लगी ।
क्योंकि बकाइन – मेहंदी के पेड़ पर हमेशा रात 11:30 बजे के बाद चुड़ैल- आत्मा- भूत -प्रेत निवास करते हैं । और उसी पे चाची की आत्मा भी रहती थी। तभी मैंने देखा कि मेरी मां के आस – पास बहुत सारी औरतें बैठी हुई थी। मेरे दिमाग में कुछ ना सुझ रहा था।
एक बार हम लोग 8वीं कक्षा में जब पढ़ रहे थे। तो गुरु जी ने बताया था । कभी भी भूत प्रेत या आत्मा दिखाई दे तो गायत्री मंत्र का जाप करो। बजरंगबली का नाम लो । तो आत्मा वहां से डर कर भाग जाएगी । उस वक्त यह बात मुझे याद आ गई । और मैंने वैसा ही किया । जैसे गुरु जी ने बताया था। आज मैं और मेरी मां सही सलामत है।
लेकिन जब से मेरी मां के साथ ऐसा हादसा हुआ था । तब से मां को थोड़ी भूलने की बीमारी और थोडी डरने की बीमारी हो गई ।और एक कमरे में बंद रहने लगी । क्योंकि बाहर अभी भी चाची की आत्मा दिखाई देती है । लोग बोलते हैं कि यह असत्य है। लेकिन जिसके ऊपर बीतती है । वही जानता है । bhoot ki kahaniya
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शैतानी शक्तियों का मज़ाक उड़ाना पड़ा भारी
आज मैं आप सभी को एक सत्य घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ। मेरे मित्र के पिता लाल सिंह बैंक में एक कर्मचारी थे । वह भूत प्रेत जैसी आत्माओं का बहुत मजाक उड़ाते थे । वह कहते थे कि शैतानी शक्तियों जैसी कोई चीज नहीं होती। और वह चाहे रात हो या .दिन जंगल हो या . शमशान हो या फिर कोई कब्रिस्तान हो । वो जानबूझकर वहां पर घूमते रहते थे ।
और बोलते थे कि देखो अगर कोई आत्मा होती। तो हम को परेशान जरूर करती । चाहे साधु हो या फिर चाहे मौलवी हो उन लोगों की बातों का बहुत मजाक उड़ाते थे। और उन्हें अभी तक कुछ नहीं हुआ था। 1 दिन वो दोपहर के समय अकेले बैंक जा रहे थे। तभी उनको एक चौराहे पर नींबू,पेड़ा, फूल और लाल कपड़ा रखा हुआ दिखा। जिसके चारों और हल्दी का एक घेरा बनाया हुआ था । और वह सोच में पड़ गए की दोपहर में यहां पर यह सब सामान किसने चढ़ाया है ।
और वह मस्ती के मूड में साइकिल से नीचे उतरे और हल्दी से बने हुए घेरे के अंदर से नींबू लाल कपड़ा और मिठाई भी उठा ली । और साइकिल पर बैठकर हंसते हुए बैंक की ओर चले गए। वहां पहुंचकर काम करने में व्यस्त हो गए तभी उन्हें भूख लगी।
और वह नाश्ता मंगा कर खाने लगे .और उनको याद आया कि मेरे पास नींबू मिठाई भी रखी हुई है। तो उन्होंने उसे भी खा लिया . और जो लाल कपड़ा उठाया था । उससे अपना हाथ मुँह पोछकर कूड़े में फेंक दिया। और उनको कुछ भी नहीं हुआ । जैसे-जैसे दिन ढलने लगा रात होने लगी।
वैसे उनका सिर भारी होने लगा और वह घर आ गए। रात में 12 बजते ही वे जोर-जोर से कभी हंसते और कभी रोते और यहां तक कि वे अपना कपड़ा फाड़ देते थे । या फिर अपने आप को कैची या चाकू से चाहे गला चाहे हाथ भी काटने लगते। एक दिन तो वह इतना हद कर दिए कि वह अपने गले में फांसी का फंदा लगाकर खड़े हो गए।
तब उनकी पत्नी ने उन्हें देख लिया . और छुड़ाया उनसे पूछने लगी. अरे आपको क्या हो गया। जो आप ऐसी वैसी हरकतें करने लग गए। तो वे कुछ नहीं बोले. जैसे कोई पागल कोई बात को सुन रहा हो। उनकी औरत परेशान होकर डॉक्टर के घर पहुंची और उनका इलाज करने को कहा हालांकि डॉक्टर को बीमारी समझ में नहीं आई। फिर भी वह उनको ग्लूकोज की बोतलें चढ़ाना चालू कर दिए। धीरे-धीरे कुछ दिन बीतते गए लाल सिंह की तबीयत मानो कैंसर के मरीज से भी बत्तर हो गई ।
तब उनकी पत्नी ने उन्हें एक अघोरी बाबा को दिखाया . और अघोरी की समझ में सारी बातें आ गई। उसने कहा कि इन्होंने चार रास्ते पर पड़े समान को उठा लिया था । यह उसी का नतीजा है । लाल सिंह की पत्नी ने पूछा कैसे तब अघोरी ने बताया .कि चार रास्ते पर एक आदमी ने किसी को झाड़-फूंक कर उसकी आत्मा को आजाद किया था ।
और जैसे ही उसने सारा सामान चढ़ाकर पीछे लौटा। वैसे ही ये वहां पहुंचकर सारा सामान उठा कर खा लिए होंगे। तभी आत्मा इनको परेशान कर रही है। लाल सिंह की पत्नी रोने लगी । और अघोरी का पाव पकड़ लिया । बोली बाबा अब आपका ही सहारा है अघोरी बाबा दुखी हो गए । और बोले ठीक है । पहले जाकर कुछ नया सामान खरीद कर लाओ । फिर मैं बताता हूं ।
औरत ने पूछा क्या लाऊं फिर अघोरी ने बोला जैसे नींबू ,सवा किलो मिठाई, सवा मीटर लाल कपड़ा और एक फूलों का हार लेकर आओ .और यह सब अपने पति के हाथों में झूठा करवा कर । हमें दे दो तब हम देखते हैं. कि हमसे क्या हो सकता है।
जैसा अघोरी ने बताया औरत ने वैसे ही किया अघोरी ने पूजा पाठ संपन्न करने के बाद एक लोटा पानी । लाल सिंह के चारों तरफ घुमा कर पी लिया और चले गए। लाल सिंह दिन प्रतिदिन सही होने लगे .और उनको कुछ याद भी नहीं आया. और वह एकदम स्वस्थ हो गए, और अपने बैंक में काम फिर से चालू कर दिया।
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भूत की कहानियाँ (bhoot ki kahaniya) और पढ़ें
भूत की कहानियाँ (bhoot ki kahaniya) के अंत में
आप को यह भूत की कहानियां(bhoot ki kahaniya) कैसी लगी। हमने बहुत सी भूत की कहानियां(bhoot ki kahaniya) लिखी है। भूत की कहानियां(bhoot ki kahaniya) पढ़ने पर हमें डर लगने लगता है। बहुत सी भूत की कहानियां(bhoot ki kahaniya) असली घटना पर आधारित रहती है। please note all stories are Dreamy not real.
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ध्यान दें: यह सब कहानी काल्पनिक है। इन कहानी से किसी भी व्यक्ति और स्थान से कोई सबंध नहीं है।
Nice story
Thanks for share