धोबी का गधा और कुत्ते की कहानी हिंदी में dhobi ka gadha aur kutta ki kahani

धोबी का गधा और कुत्ते की कहानी बहुत ही पुरानी कहानी है। इस कहानी (dhobi ka gadha aur kutta ki kahani) को काफी लोग पढ़ चुके है और हर बच्चे को इस कहानी को पढ़ना चाहिए।

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धोबी का गधा और कुत्ते की कहानी

dhobi ka gadha aur kutta ki kahani
dhobi ka gadha aur kutta ki kahani

बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में धनिया नाम का एक धोबी रहता था। उसने एक गधा और एक कुत्ता पाल रखा था। वह रोज सुबह लोगों के मैले कपड़े नदी के घाट पर ले जाता और उन्हें धोकर शाम को गधे की पीठ पर लादकर ले आता।

दिन भर थका होने के कारण धोबी को रात को बहुत नींद आती थी। एक रात धोबी गहरी नींद में सो रहा था। रात के समय उसके घर में कुछ चोर घुस गए।

बाहर एक छप्पर के नीचे गधा बंधा हुआ था और उसके पास ही एक कुत्ता बैठा था। गधे ने कुत्ते से कहा, देखो भाई! घर में चोर घुस आया है। तुम इस घर के चौकीदार हो।

तुम्हारा कर्तव्य है इस घर को चोरो से बचाना। अब तुम जोर-जोर से भौंकना शुरू कर दो, ताकि मालिक जाग जाए।

कुत्ता बोला, गधे भाई! तुम मुझे मेरा कर्तव्य मत बताओ। मैं रात-दिन घर की रखवाली करता हूँ फिर भी मालिक मेरी ओर जरा ध्यान नहीं देता।

इसलिए मालिक का थोड़ा-बहुत नुकसान होने दो, ताकि उसे मेरी कीमत का पता चले। गधे ने गुस्से में कुत्ते से कहा, धोखेबाज! तुम तो बड़े नमकहराम हो।

कुत्ता बोला, तू बड़ा वफादार है मालिक का? मालिक और नौकर, दोनों को ही अपने अपने कर्तव्यों का ध्यान रखना चाहिए।

जब वह मेरे पर ध्यान नहीं देता तो मैं ही क्यों उस पर ध्यान दूं। वह तेरा बड़ा ख्याल रखता है। तू ही उसे जगा दे।

कुत्ते की बात सुनकर गधे को बड़ा क्रोध आया और वह जोर-जोर से ढेचू – ढेंचू चिल्लाने लगा। धोबी गहरी नींद में था।

परंतु गधे की आवाज सुनकर उसकी नींद टूट गई। धोबी को बहुत गुस्सा आया। उसने एक मोटा डंडा उठाया और बाहर आकर गधे पर पीटने लगा।

उसने गधे को डंडे से खूब पीटा। गधा अधमरा-सा होकर धरती पर गिर पड़ा। कुछ समय बाद जब गधे को होश आया तब कुत्ते ने पूछा, क्यों भाई गधे! क्यों गहरी नींद सता रही थी?

गधे ने उसकी बात सुनकर कहा, नहीं कुत्ते भाई! अब मैं समझ गया कि जिसका काम उसी को साजे दूसरा और करे तो डंडा बाजे.

moral of dhobi ka gadha aur kutta ki kahani इस कहानी (धोबी का गधा और कुत्ते की कहानी) से बच्चों और बड़ों दोनों की सीख मिलता है। जिसका जो काम है उसे वही काम करना चाहिए। दूसरे किसी के काम में दखल नहीं देना चाहिए।

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