अकबर बीरबल की कहानी: बीरबल ने चोर को पकड़ा | Birbal Ne Chor Pakda

अकबर बीरबल की कहानी: यह कहानी बादशाह अकबर के समय की है। एक बार एक व्यापारी किसी काम से कुछ दिनों के लिए राज्य से बाहर गया हुआ था। जब वह अपना काम खत्म कर घर संदेश भेजता है, तो वह पाता है कि उसकी तिजोरी पूरी तरह से खाली है। उसकी मेहनत की सारी कमाई लुट गई है। व्यापारियों ने घेर लिया और उसने सब नौकरों को अपने घर बुला लिया। व्यापारी के घर में कुल 5 नौकर थे। व्यापारी की एक आवाज पर सारे नौकर उसके सामने रुक गए।

Birbal Ne Chor Pakda

व्यापारी ने उनसे पूछा, “जब तुम लोग थे तो घर में इतनी बड़ी चोरी कैसे हो गई? जब चोर ने आकर मेरी तिजोरी साफ की, उस समय वे सब कहाँ थे? एक नौकर ने जवाब दिया, “हम नहीं जानते कि यह चोरी कब हुई, मालिक। हम तो सो रहे थे।” यह सुनकर व्यापारी को गुस्सा आ गया और उसने कहा, ”मुझे लगता है कि तुम पांचों में से किसी एक ने ही चोरी की है।

बीरबल ने चोर को पकड़ा

बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठकर जनता की समस्या सुन रहे थे कि व्यापारी वहां पहुंचा। व्यापारी ने कहा, “जस्टिस साहब, न्याय, मेरी समस्या का समाधान करें।” राजा ने पूछा, “क्या हुआ? आप कौन हैं और आपकी समस्या क्या है? व्यापारी ने कहा, “मैं आपके राज्य में रहने वाला एक व्यापारी हूं, महाराज। किसी जरूरी काम से कुछ दिनों के लिए राज्य से बाहर गए थे।

अकबर बीरबल की कहानी

जब मैं वापस आया तो मेरी पूरी तिजोरी लूट ली गई थी। मैं बर्बाद हो गया हूँ, सर। मेरी सहायता करो।”

यह सुनकर बादशाह ने व्यापारी से कुछ सवाल किए, जैसे कितना माल चोरी हुआ, क्या उसे किसी पर शक है आदि। सवालों के जवाब पाकर अकबर ने व्यापारी का मामला बीरबल को सौंप दिया और कहा कि बीरबल पकड़ने में उसकी मदद करेगा। असली चोर।

अकबर बीरबल की कहानी

अगले दिन बीरबल व्यापारी के घर पहुंचे। उसने सभी नौकरों को बुलाया और उनसे पूछा कि चोरी की रात वे सब कहाँ थे? सभी ने कहा कि वह व्यापारी के घर में रहता है और उस रात भी वह व्यापारी के घर सो रहा था।

बीरबल ने उनकी बात मान ली और कहा, “आप सभी को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। मेरे हाथ में ये पाँच जादू की छड़ियाँ हैं। मैं तुममें से प्रत्येक को एक-एक छड़ी दूँगा। चोर कोई भी हो, उसकी लकड़ी आज रात दो इंच लंबी हो जाएगी और चोर पकड़ा जाएगा। हम सब कल यहीं मिलेंगे।” यह कहकर बीरबल ने एक-एक छड़ी अपने हाथ में ली और चला गया।

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दिन ढल गया। अगले दिन बीरबल फिर व्यापारी के घर पहुंचे और सभी नौकरों को लकड़ी के अपने-अपने टुकड़ों के साथ बुलाया। बीरबल ने सबकी लकड़ी देखी तो देखा कि एक नौकर की लकड़ी दो इंच छोटी है।

बस फिर क्या था। बीरबल ने तुरंत सिपाहियों को उस नौकर को पकड़ने का आदेश दिया। व्यापारी इस पूरी घटना को समझ नहीं पाया और बीरबल को असमंजस से देखने लगा। बीरबल ने व्यापारी को समझाया कि कोई भी लकड़ी जादुई नहीं होती, लेकिन चोर को डर था कि उसकी लकड़ी दो इंच लंबी हो जाएगी और डर के मारे उसने अपनी लकड़ी को दो इंच तक काट दिया और पकड़ा गया। व्यापारी बीरबल की चतुराई से बहुत प्रभावित हुआ और उसे धन्यवाद दिया।

Conclusion


बच्चों, बीरबल द्वारा चोर को पकड़ने की कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी कार्य कितनी भी चतुराई से क्यों न किया जाए, वह लोगों की नजरों में आ ही जाता है और उसका परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।

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