Home hindi kahani hindi stories with moral for kids हिंदी कहानी बच्चों लिए लिए

hindi stories with moral for kids हिंदी कहानी बच्चों लिए लिए

hindi stories with moral. बचपन में सभी बच्चो को हिंदी कहानी और कहानिया सुनने में काफी मजा आता है।

हमारे देश में कहानी को बच्चों को सुनना काफी लम्बे समय से चलता आ रहा है। बच्चो को कहानी को पढ़ने से उनकी किसी भी भाषा में काफी मजबूती मिलती है।

इसी को देखते हुए होने कुछ बेहतरीन hindi stories with moral ( हिंदी कहानिया ) एकठा किया है।

यह भी पढ़ें: आत्मा की सवारी ghost story

सच्चा हीरा hindi story with moral

सच्चा हीरा hindi story with moral
सच्चा हीरा hindi story with moral

सूर्य अस्त होने को था। पक्षी चहचहाते हुए अपने घोंसलों की ओर जा रहे थे। गाँव की चार स्त्रियाँ एक कुएँ पर पानी भरने आईं। अपने-अपने घड़ों में पानी भरकर वे इधर-उधर की बातें करने लगीं।

एक स्त्री बोली- भगवान! सबको मेरे जैसा बेटा दे। वह लाखों में एक है। उसका कंठ बहुत सुरीला है। लोग उसके गाने सुनकर मुग्ध हो जाते हैं। सच कहूँ, मेरा बेटा तो हीरा है हीरा. उसकी बात सुनकर दूसरी स्त्री से रहा न गया।

वह भी अपने बेटे की प्रशंसा करने लगी। वह बोली- बहन, मेरा बेटा बहुत शक्तिशाली और साहसी है। वह तो आज के युग का भीम है। दोनो स्त्रियों की बातें सुनकर तीसरी भला चुप कैसे रह सकती थी।

वह भी तुरंत बोल पड़ी- मेरा बेटा तो इतना बुद्धिमान है कि वह जो कुछ पढ़ता है, उसे एकदम कंठस्थ हो जाता है। उसके कंठ में तो सरस्वती का वास है।

तीनों स्त्रियों की बातें सुनकर चौथी स्त्री चुपचाप बैठी रही। उसका भी एक बेटा था, पर उसने अपने बेटे के बारे में कुछ नहीं कहा।

पहली स्त्री ने उसे टोकते हुए कहा, तुमने अपने बेटे के विषय में कुछ नहीं बताया। चौथी स्त्री बोली- मैं अपने बेटे की क्या प्रशंसा करूं?

न तो वह अच्छा गायक है और न ही भीमे-सा पहलवान।
जब वे अपने-अपने घड़े सिर पर रखकर लौटने लगी, तभी उन्हें एक मधुर गीत सुनाई दिया।

उसे सुनते ही पहली स्त्री  बोल उठी- “मेरा हीरा आ रहा है। तुमने, सुना उसका कंठ कितना मधुर है। वह लड़का गीत गाता हुआ उसी रास्ते से निकल गया। उसने अपनी माँ की ओर देखा तक भी नहीं।

थोड़ी देर बाद दूसरी स्त्री का बेटा भी उधर से आता दिखाई दिया। उसे देखकर दूसरी स्त्री बोली- देखो, वह मेरा लाड़ला बेटा आ रहा है। उसका बलिष्ठ शरीर तो देखो।

वह बेटा भी माँ की ओर देखे बिना निकल गया। थोड़ी देर बाद में तीसरी स्त्री का बेटा भी संस्कृत के श्लोक बोलता हुआ वहाँ से गुजरा। वह भी माँ की ओर देखे बिना आगे बढ़ गया।

चारों स्त्रियाँ अभी थोड़ी ही आगे बढ़ी होंगी कि चौथी स्त्री का बेटा भी उधर से आ निकला। वह बिलकुल सीधा-सादा लग रहा था। उसे देखकर चौथी स्त्री बोली- बहन, यही मेरा बेटा है।

तभी उसका बेटा उसके पास आया। वह अपनी माँ से बोला माँ लाओ, मैं यह घड़ा घर पहुंचा दूं। माँ के मना करने पर भी उसने पानी का घड़ा उतारकर अपने सिर पर रख लिया और घर की ओर चल पड़ा।

तीनों स्त्रियाँ उसे देखती ही रह गईं। पास खड़ी एक बूढ़ी महिला बोल उठी- देखती क्या हो? सच्चा हीरा यही है। इसलिए कहा गया है कि कहने और करने में बहुत अंतर है।

इस तरह के hindi stories with moral से बच्चों को काफी अच्छा सीख मिलेगा। बचपन में बच्चो को हिंदी कहानी से काफी अच्छी सीख दिया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: बेटी का कन्यादान

मन चंचल है hindi story

मन चंचल है hindi story
मन चंचल है hindi story

ऐसा कहा जाता है कि द्वापर में महाराज कर्ण महादानी थे। वह एक ऐसा धर्मात्मा दानी मनुष्य था जो सचमुच में जानता था कि दान देना क्या होता है। उसके पास से कोई व्यक्ति खाली हाथ नहीं जाता था.

एक दिन कर्ण ने बड़े आराम से स्नान करने की सोची। उसके बायें हाथ में तेल से भरा सोने का कटोरा था और दायें हाथ से वह तेल निकालकर मलने लगा।

अचानक एक निर्धन व्यक्ति आया और बोला- मैं जानता हूँ कि आप इस समय पृथ्वी के सबसे बड़े दानी पुरुष हैं, मैं आपके पास बड़ी आशा व आस्था लेकर आया हूँ।

मैं जानता हूँ कि आप मुझे खाली हाथ नहीं लौटायेंगे। तुरन्त ही कर्ण ने अपने बायें हाथ वाला सोने का कटोरा आगे कर दिया। और उस अजनबी को देते हुए कहा- इस समय मेरे पास केवल यही है, कृपया आप इसे स्वीकार करें।

कुछ समय बीतने के बाद किसी ने कर्ण से कहा कि हमारे धर्मशास्त्र कहते हैं कि जो कुछ दान करो अपने दायें हाथ से करना चाहिये। फिर आपने इस नियम का उल्लंघन करके बायें हाथ से दान क्यों दिया?

कर्ण मुस्कुराते हुए बोले- जब मुझे विचार आया कि उस समय जो कुछ मेरे पास है उस निर्धन व्यक्ति को दे दूँ तो मैंने तत्काल उसे सोने का कटोरा देने का निर्णय किया।

यदि मैं कटोरे को बायें हाथ से दायें हाथ की ओर करता तो उस समय के छोटे से अंश के अन्दर मेरा मन बदल सकता था।

मैं शायद सोने के कटोरे को न देकर उस निर्धन को कुछ सिक्के देने के लिये आदेश देता।

इसलिये मैं वह जोखिम नहीं उठाना चाहता था कि कहीं मेरा मन न बदल जाये, क्योंकि मन बड़ा चंचल है इसलिये मैंने वह भेंट अपने बायें हाथ से ही दे दी।

यह भी पढ़ें: बन्दर और मगरमच्छ की दोस्ती

व्यवहार कुशलता का पुरस्कार hindi story with moral

व्यवहार कुशलता का पुरस्कार hindi story with moral
व्यवहार कुशलता का पुरस्कार hindi story with moral

अमेरिका के जान -माने धनी व्यक्ति ‘रॉकफेलर’ की पत्नी एक दिन शाम के समय टहलने निकल गई। लौटते समय एकाएक ही मूसलाधार वर्षा शुरू हो गई।

बरसात से बचने के लिए वह पास ही के एक दफ्तर के बरामदे में खड़ी हो गई।

कार्यालय बन्द हो रहा था, मैनेजर जा चुका था और कर्मचारी भी जा चुके थे। बस एक चपरासी और एक क्लर्क, जो कार्यालय बन्द करके चाबी अपने साथ ले जाता था, वहाँ रह गये थे। क्लर्क ने बरामदे में खड़ी उस महिला को देखा।

वह उसे पहचानता नहीं था परन्तु फिर भी सामान्य शिष्टाचार के नाते उसके पास बाहर आया और बोला- सिस्टर, आप बाहर क्यों खड़ी हैं, पानी के छींटें भी आपको लग रहे हैं। आप अन्दर आ जाइये और कुर्सी पर आराम से बैठिये।

श्रीमती रॉकफेलर उसके सामान्य शिष्टाचार से बहुत प्रभावित व प्रसन्न हुई एवं वह भीतर आकर कुर्सी पर बैठ गई। क्लर्क ने चपरासी से कहा कि तुम जाओ।

मैं बाद में कार्यालय बन्द करके चाबी तुम्हें देता निकल जाऊगा।

श्रीमती रॉकफेलर ने उस क्लर्क का परिचय पूछा। यह भी जानना चाहा कि वह उसे पहचानता है या नहीं? उसने कहा तुम्हारी पत्नी और बच्चे घर पर तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे होंगे, देर हो जायेगी।

क्लर्क ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, ऐसी कोई बात नहीं है। आप आराम से बैठिए. बरसात कुछ ही देर में थम जायेगी। बरसात बन्द हुई। श्रीमती रॉकफेलर उठ खड़ी हुई।

बड़ी आदर के साथ उस क्लर्क ने उन्हें बाहर तक पहुंचाया और कार्यालय बन्द करके घर पहुंचा।

दूसरे दिन कार्यालय के समय फोन की घंटी बजी। मैनेजर ने फोन उठाया तो उधर से आवाज आई।मैं रॉकफेलर बोल रहा हू.
मैनेजर सकपका गया और बोला, जी-जी कहिए।

आपके कार्यालय में अमुक नाम का कोई क्लर्क है?
जी है, आप मुझे फरमाइये क्या हुआ है? मैं मैनेजर बोल रहा हूँ।
नहीं, फला क्लर्क को ही बुलाइये। मुझे उसी से काम है.

मैनेजर को बड़ा आश्चर्य हुआ. रॉकफेलर जैसा अमेरिका का धनवान व्यक्ति उस छोटे से क्लर्क का नाम भी जानता है और उसी से बात करना चाहता है.

क्लर्क को बुलाया- तुम्हारे लिए रॉकफेलर का फोन है। क्लर्क के होश उड़ गये कि क्या बात हो गई।कांपते हाथों से उसने टेलीफोन पकड़ा और अभिवादन किया।

श्रीमान, फरमाइये आपको मुझसे क्या काम है, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?

रॉकफेलर बोला तुम्हारा कार्यालय बन्द होते समय बरसात में एक महिला तुम्हारे बरामदे में खड़ी थी, उसे पहचानते हो?

क्लर्क- जी नहीं, मैं तो सिर्फ इतना ही जानता हूँ कि वह कोई महिला थी पर शायद मैंने कोई गलत व्यवहार तो नहीं किया? फिर भी कोई गलती या भूल हुई हो तो क्षमा करें.

रॉकफेलर- “तुम्हारी तो कोई गलती या भूल नहीं हुई है, किन्तु तुम्हारी सज्जनता और शिष्टाचार ने मुझे व मेरी पत्नी को बहुत प्रभावित किया है। हम एक नया कारखाना खोल रहे हैं। उसमें मैं तुम्हें मैनेजर बनाना चाहता हूँ.”

क्लर्क को अपने कानों पर सहज ही विश्वास नहीं हुआ। एक साधारण-सी सज्जनता और व्यवहार-कुशलता का इतना बड़ा पुरस्कार, एक छोटी-सी फर्म का एक क्लर्क, एक कारखाने का मैनेजर बन गया। 

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें हमेशा दूसरो से अच्छी व्यवहार करनी चाहिए.

यह भी पढ़ें: हिरण और शिकारी Interesting Kahani

कुछ और कहानियाँ

बच्चों को कहानी को पढ़ने में काफी मजा आता है और बच्चे कहानी (hindi stories with moral) से काफी कुछ सिखाया जा सकता है।

बचपन में कहानी (hindi stories with moral) को देखने और सुनने का दिलचस्पी सभी को होता है। हिंदी स्टोरी विथ मोरल

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here