moral stories in Hindi for kids with interesting ways

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बेवक़ूफ़ कौवा

बहुत समय पहले एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी, लोमड़ियाँ तो चालाक होती हैं. उन्हें पता होता है की उन्हें कब किस चीज़ से फायदा होगा. इसी तरह की एक लोमड़ी एक जंगल में रहती थी, आदत के अनुसार वह भी बहुत चालाक और होशियार थी.

एक मुर्ख कौवा था, वो बहुत दिनों से भटक रहा था और उसे कुछ खाने को मिल नही रहा था. उसने बहुत प्रयास किये पर खाने को कुछ नही मिला, एक दिन भटकते भटकते वह एक जगह पे रुका. उसने सोचा थोड़ी देर आराम कर लेती हूँ. उसकी नजर अचानक एक रोटी पर पड़ी जो उसके बगल में राखी हुई थी. उसने झटपट वो रोटी अपनी चोंच से उठाई और उड़ गया.

रोटी को पाकर कौवा बहुत खुश हुआ, उसे लगा की अब वो आराम से अपना पेट बहर सकता है. कौवा उसी जंगल में एक पेड़ की डाल पर जाकर बैठ गया. उसने सोचा की अब वह रोटी खायेगा, जैसे उसने ये सोचा ही था तब से एक कोयल की आवाज आने लगी.

कही दूर पर कोई कोयल गाना गा रही थी, सभी को पता है की कोयल कितना मीठा गाना गाती है. उसकी आवाज कितनी मीठी होती है, और कानों को कितनी शांति देती है और भाति है. कौवा कोयल की आवाज सुनकर बहुत गुस्से में आ गया. कोयल की आवाज से कौवे को सख्त नफरत थी, उसे लगता था की कोयल भी कौवे की तरह काली होती है तो लोग कोयल की आवाज को क्यों पसंद करते है, कौवे की आवाज को क्यों नही.

कौवे की आवाज कितनी कर्कश होती है,ये सब जानते है. कौवे की आवाज कानों को क्षण भर भी नही भाति, उसकी आवाज इतनी कठोर होती है. लेकिन फिर भी कौवे को ये समझ नही थी की इसमें कोई कुछ नही कर सकता ये भगवान की दी हुई चीज़ है.

कौवे को पेड़ की डाली पर देख लोमड़ी उसके पास जाकर खड़ी हुई, उसे कुछ अंदाजा हो गया था कोयल की आवाज सुनकर. लोमड़ी ने कौवे से कहा तुम क्यों गुस्सा करते हो और परेशान होते हो दोस्त त्म्हरी आवाज भी कोयल से कम नही है, तुम तो कोयल से भी ज्यदा मीठा गाते हो. जंगल में सभी जानवरों का कहना है की कौवे की आवाज के सामने तो कोयल की आवाज से बहुत ज्यदा मधुर और मीठी है.

अपनी झूठी तारीफ सुनकर मुर्ख कौवा खुश होने लगा, कौवे को खुश होता देख लोमड़ी ने और बढ़ा चढ़ा कर बात बनाने लगी. उसे पता था की कौवा खुश हो रहा है, उसका लालच तो कौवे की चोंच से वो रोटी लेने में थी.

लोमड़ी ने कौवे से कहा की आप कोई गाना गाकर सुना दीजिये मैं आपकी आवाज सुनना चाहती हूँ, कौवे ने जैसे ही गाने के लिए अपनी चोंच खोली उसके चोंच से रोटी नीचे आ गिरी और लोमड़ी उस रोटी को तुरंत लेकर भाग गयी. कौवे को अपनी मुर्खता और जलन की वजह से बहुत नुकसान हुआ… कभी किसी की बातों में नही आना चाहिए, जो किसी की बातों में आकर कुछ करता है उस हमेशा नुकसान का ही सामना करना पड़ता है.

बेटी का कन्यादान emotional moral stories in Hindi

ये कहानी एक माँ और बेटी की है, दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करती थी. उस घर में केवल माता, पिता और उनकी बेटी ही रहते थे. ये तीनों ही एक दूसरे का सहारा बनते थे, तीनों क्या दो ही. ये इसलिए क्युकि पिता जी  हमेशा सुबह सुबह दफ्तर के लिए निकल जाते और घर में केवल माँ और बेटी ही बचती थी.

माँ, बेटी पूरे दिन साथ में रहती, आपस में बातें करती और अपनी सारी बातें एक दूसरे के साथ बांटती थी. माँ की सारी बातें बेटी को पता होती थी. उसे वो हर जगह पता थी जहाँ माँ अपने जेवर, पैसे और बाकी के सारे सामान रखती थी. माँ को भी इससे बहुत आसानी होती थी, उन्हें चीज़ें भुलने की आदत थी. तो बेटी के होने से माँ को बहुत सहारा मिलता था.

धीरे धीर समय बीतता गया और बेटी बड़ी होने लगी, पहले तो उसका साथ माँ के साथ थोड़ा कम हुआ जब वह बड़ी कक्षा में पहुंची. वह पढ़ाई में मन लगाने लगी और माँ को थोड़ा कम समय देने लगी, वहाँ तक तो ठीक था क्युकी बेटी माँ के पास थी.

थोड़ा समय बीता और बेटी की पढ़ाई खत्म होने का समय आ गया, बेटी की पढ़ाई खत्म हुई. पिता जी ने बेटी के अब रिश्ते देखने शुरू कर दिए, थोड़े दिन में एक अच्छा लड़का भी मिल गया. उस लड़के के साथ पिता जी ने बेटी की शादी करवा दी.

जब बेटी के ससुराल जाने का समय आया तो माँ बहुत दुखी थी, उन्हें समझ नही आ रहा था की वो कैसे अपनी बेटी को किसी और के घर भेज दें. उन्हें बहुत डर लग रहा था, उनकी नज़रों में तो उनकी बेटी अभी भी छोटी बच्ची ही थी. उन्होंने अपनी बेटी को ससुराल जाते समय समझया की अगर तम्हे कोई तकलीफ हो तो मुझसे छुपाने की जरूरत नही मुझे आकर बताना. कभी अन्याय मत सहना हमेशा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना.

माँ की ये सारी बातें सुनकर बेटी की आँखे भर आयी, वो माँ से कहने लगी माँ आप चिंता मत करिए. मैं ठीक हूँ, आप अपना ख्याल रखियेगा और पिता जी का भी ध्यान रखियेगा.

माँ, बेटी दोनों एक दुसरे को देखकर रोने लगे उन्हें समझ नही आ रहा था की ये समय इतनी जल्दी क्यों आ गया.

बेटी के जाने के बाद माँ अकेले बैठ कर सोचती है की अब मैं अपनी बातें किसे बताउंगी, बेटी को ही माँ की हर चीज़ों की जगह याद थी अब से उसे ये सब खुद याद रखना पड़ेगा, अबसे कुछ भी पहले की तरह नही रहेगा. माँ कहती बेटी की कन्य्दान करना बहुत बड़ी बात है, जिसके पास बेटी होती है उसे पता होता है की कन्यादान करते समय एक माँ अपनी सारी पूंजी दान कर देती है. उसकी सारी पूंजी उसकी बेटी ही होती है, जिसे वो एक दिन कन्यादान करके किसी और को दे देती है.

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लालची बन्दर moral stories in Hindi

लालची बन्दर moral stories in hindi
लालची बन्दर moral stories in hindi

एक बार की बात है बहुत पहले एक गाँव था, वह गाँव ज्यदा विकसित नही था. वह के लोग भी ज्यदा धनवान नही थे, लोग किसी प्रकार से अपना जीवन निर्वाह कर रहे थे.उनके पास ज्यदा खाने को नही था,वो दुसरे गाँवों में जाकर काम माँगते थे और किसी तरह अपना गुजर बसर करते थे.

गाँव से ही सटा हुआ एक जंगल था, उस जंगल में बहुत सारे जानवर थे.वो जंगल से ही अपने खाने पीने की व्यवस्था करते थे, किसी तरह उन जानवरों का भी जीवन यापन हो रहा था. धीरे धीरे जंगल के सारे फल ख़तम हो गए और जानवरों को खाना खाने में परेशानी होने लगी.

उस जंगल में दो बन्दर रहते थे दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त थे, फल ख़तम होने से उन्हें भी तकलीफ होने लगी उन्होंने साथ मिलकर सोचा की वो जंगल छोड़कर किसी गाँव में जाकर अपने आगे जीवन व्यतीत करेंगे. जंगल से सटे हुए गाँव में वो जा नही सकते थे क्युकी वहा पे तो खुद खाने की कमी थी लोगों को,तो वो बंदरों को क्या देते.यही सब सोचते सोचते उन्होंने तय किया की वो लोग किसी दुसरे गाँव में जाकर रहेंगे जहाँ पर उन्हें खाने को भरपेट खाना मिल सके.

उन्होंने जाने का तो निश्चय कर लिया लेकिन ये नही सोचा की इंसानों क बस्ती जंगल की तरह नही होती है, वहाँ आसानी से कुछ भी मिलना नामुमकिन के बराबर है. वो जंगल में रहते थे वहाँ पर उन्हें फल आसानी से मिल जाते ना को रोकने वाला ना कोई पूछने वाला उन्हें लगा गाँव में भी ऐसा ही होगा.

वो दोनों गाँव की ओर चल पड़े, थोड़ी दूर जाकर दोनों बंदरों में से एक बन्दर ने कहा की हम कौन से गाँव जयेंगे. हमें तो कही का रास्ता भी नही पता है,हमने तो जंगल के बाहर की दुनिया देखी ही नही है.दुसरे ने जवाब दिया कोई बात नही तुम परेशान क्यों होते हो हम दोनों साथ में है रास्ता खोज ही लेंगे. उसकी ये बात सुनकर बन्दर में थोड़ा साहस आया और उसने चलना वापस से शुरू कर दिया.

दोनों काफी दूर तक चलते गए लेकिन उन्हें गाँव का रास्ता नही मिल रहा था, दोनों बहुत परेशान होने लगे. आगे चलकर उन्हें एक हाथी मिला बंदरों ने उससे गाँव जाने का रास्ता पूछा हाथी ने भी उन दोनों को गाँव का रास्ता बता दिया.दोनों खुश होकर गाँव की ओर चलने लगे.

कुछ दिन बाद वो दोनों गाँव में पहुँच गए,दोनों गाँव में पहुचकर बहुत खुश हुए और आपस में बात करने लगे की गाँव में बहुत सी चीज़ें होंगी खाने के लिए बहुत से फल मिलेंग.जिस गाँव में वो दोनों बन्दर पहुंचे थे वो वाकई में बहुत सम्रद्ध गाँव था, वहाँ के लोगों के पास धन की कोई कमी नही थी और खाने पीने की भी चीज़ें मौजूद थी.

बन्दर इतना सारा सामान देखकर खुद को संभल नही पाए और उन्होंने एक दूकान पर जाकर केले उठाकर खाने शुरू कर दिए. देखते ही देखते वहाँ दूकान का मालिक आ गया और बंदरों को डंडा मारकर हटाने लगा, बंदरों ने वहाँ से किसी तरह अपनी जान बचायी और उस दूकान से भाग गए.

बंदरों ने ये नही सोचा था की उन्हें इस तरह मार खानी पड़ेगी वो तो जंगल से गाँव में खाने की तलाश में आये थे, बंदरों  ने हार न्हीमानी उन्हें लगा की शायद वो दुकानदार बहुत दुष्ट रहा होगा और उसे बन्दर पसंद नही होंगे इसलिए उसने ऐसा किया होगा. वो फिर आगे बढ़ाते रहे और उन्हें एक घर दिखा,घर में एक औरत बैठकर कुछ काम कर रही थी और उसके बगल में कुछ फल रखे हुए थे. बंदरों ने देखा की फल रखे हुए है वो भूखे तो थे ही, खुद को रोक नही पायें और उस घर में घुस गए. बंदरों को देख औरत तेज़ तेज़ से चिल्लाने लगी, औरत की चीख सुकर उसका पति घर के भीतर से बाहर आया और बंदरों को मारने लगा. बंदरों को वहाँ भी कुछ खाने को नही मिला.

ऐसे करते करते चार दिन बीत गए और बंदरों ने कुछ नही खाया, बन्दर बहुत परेशान होने लगे. एक दिन उन्हें एक घर खुला दिखा जिसमे एक बरतन में एक रोटी राखी हुई थी, बंदर रोटी को देखकर बहुत खुश हुए उन्होंने सोचा की कम से कम कुछ तो खाने को मिला. वो तुरंत ही घर के अंदर पहुंचे और रोटी को उठाकर अपने हाथ में ले लिया.

बंदरों ने उस रोटी के दो टुकड़े किये जब दोनों ने सोचा की रोटी को खाया जाए तब उसमे से एक बोला की त्म्हरी रोटी का टुकड़ा मेरी रोटी से ज्यदा है. टुकड़े को लेकर दोनों में बहस होने लगी, तभी वहाँ पर एक बिल्ली आ गयी और बंदरों को लड़ता देख उसने पूछा तुम दोनों लड़ क्यों रहे हो तो बंदरों ने जवाब दिया की रोटी का टुकड़ा बारबार नही बटा है. हम दोनों इसे बराबर बाटना चाहते है.

बिल्ली भी बहुत होशियार थी लड़ते बंदरों को देखकर उसने मौके का फायदा उठाना चाहा, उसने कहा लाओ मैं रोटी के टुकड़ों को बराबर बाँट देती हूँ.बनाद्रों ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलायी, और उसे दोनों रोटी के टुकड़े दे दिए. बिल्ली ने रोटी के टुकड़ों को देखा और कहा की एक टुकड़ा ज्यदा है उसने एक टुकड़े में से थोडा सा टुकड़ा तोड़ लिया और कहने लगी अगर दुसरे टुकड़े में रख दूँगी तो वो ज्यदा हो जायेगा, मैं एस अक्रती हूँ की मैन्य छोटा टुकड़ा खा लेती हूँ.

बंदरों ने कुछ नही कहा और उसे रोटी का टुकड़ा खाने दिया, फिर बिल्ली दोनों टुकड़ों को देखकर कहने लगी अब ये वाला टुकड़ा ज्यदा है उसने फिर वही किया और उसमे से एक टुकड़ा तोड़ा और वही जवाब दिया की अगर मैनिसे रख देती हूँ तो ये वाला ज्यदा हो जयेगा. उसने फिर से रोटी का टुकड़ा खा लिया.

ऐसा करते करते बिल्ली ने चालाकी से बंदरों के सामने ही रोटी के सरे टुकड़े खा कर ख़तम कर दिए, बंदरों ने उससे कहा की तुम तो हमारी रोटी खा गयी तो उसने बदले में जवाब दिया की तुम दोनों ने ही तो टुकड़ों को बराबर करने को कहा था, वो बराबर हो ही नही रहे थे और इसी चक्कर में रोटी ख़तम हो गयी.

बंदरों की थोड़ी सी लालच की वजह से उन्हें कुछ नही मिला, और आखिरी में परेशान और थक हारकर वो दोनों गाँव से वापस जंगल की ओर चले गए.

keep reading moral stories in Hindi. keep growing mind set. when someone read moral stories in Hindi they learn many things and gain more more focus. when we read moral stories in Hindi we get focus.

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