नेवला और किसान की कहानी भी एक पुरानी कहानी है। नेवला और किसान की कहानी में एक किसान को एक नेवला मिलता है जिसे किसान अपने घर में रखता है।
उस किसान के घर में एक बच्चा भी होता है। एक दिन बिना पूरी जानकारी के कारण किसान की पत्नी नेवले को जान से मर देती है।
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नेवला और किसान की कहानी

बहुत समय पहले की बात है। किसी दूर गाँव में एक किसान रहा करता है। एक बार वह किसान अपने खेत में काम कर रहा था।
खेत में काम करने के द्वारा किसान को एक घायल नेवला का बच्चा दिखाई दिया। उस किसान को उस जख्मी नेवला के बच्चे पर बहुत ही दया आ गया।
वह किसान उस नेवला के बच्चे को अपने साथ अपने घर ले गया। वह किसान घर पहुँच कर उस नेवला के बच्चे के जख्म पर मलहम लगाया ।
अब वह किसान सोचने लगा कि अगर मैं उसे जंगल में छोड़ दुगा तो यह मर भी सकता है। मुझे कुछ समय इसको अपने साथ रखना चाहिए।
जब यह स्वस्थ हो जाएगा तो फिर मैं इसे जंगल में छोड़ दूँगा। फिर उस किसान ने उसे अपने घर में रखकर पालने को सोचा।
पर इस पर उस किसान की पत्नी राजी नही थी क्योंकि उसके घर में के 2 महीने का बच्चा था।
पर उस किसान ने अपने पत्नी को इसे रखने के लिए मना लिया. यह कहते हुए की यह हमारे बच्चे का कुछ नही करेगा।
अब वह नेवले के बच्चे को अपने पाने साथ ही रखने लगे। वह उस नेवला के बच्चे को बहुत ही प्रेम भी करते थे।
उसे भर पेट खाना देते। उसकी पत्नी भी उस नेवले पर विश्वास करेने लगी थी।
करीब एक महीने बाद की बात है। उस किसान की पत्नी अपने बच्चे को घर पर छोड़ कर बाजार चली गई।
घर पर बच्चा अपने जगह पर सोया था। और नेवला उस घर के अन्दर एक कोने पर बैठा था। तबी उस नेवले को एक साप दिखाया दिय।
उसे लगा की वह साँप बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है। इस लिए उसने साप से लड़ना शुरु कर दिया। कुछ ही देर में उस नेवले ने साँप को मार गिराया और दरवाजे पे जा बैठा।
तभी उस किसान की पत्नी बाजार से आई। उसने नेवले को दरवाजे पर बैठा देखा और उसके मुह में खून लगा हुआ था।
नेवला के बच्चे के मुँह में खून देखकर वह पागल सी हो गई।
उसने आव न देखा ताव उसने सब्जी से भरा टोकड़ी उस नेवले के बच्चे के सेर पर दे मारी। जिसके कारण नेवले के बच्चे की तुरंत ही मौत हो गई।
जब वह अन्दर गई तो देखा की उसका बच्चा अपने जगह पर सो रहा है। और उसके सर के पास एक साप मारा पड़ा है।
उसे सब कुछ समझ में आ गया कि यहाँ क्या हुआ था। वह तेज तेज से रोने लगी. अब उसे अपने किये पर पछतावा हो रहा था। उसे पछतावा था कि क्यों उसने पहले सब कुछ नहीं जाना।
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यह कहानी यहीं खत्म होती है. पर इस नेवले और किसान की कहानी से हमें सीख मिलता है कि हमें कोई भी फैसला लेने से पहले सब कुछ जान लेना चाहिए। अधूरा ज्ञान नुकसान ही देता है।
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