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लोमड़ी की चालाकी- हिंदी स्टोरी

कभी कहीं दूर एक जंगल हुआ करता था। एक बार की बार है। उस जंगल में एक शेर कई दिनों एक पिंजरे में बंद था। शेर ने उस पिंजरे से निकलने के बहुत से कोशिश कर लिया था लेकिन बाहर नहीं निकल पा रहा था। अब तो शेर को काफी भूख भी लग गई थी। शेर इतना भूखा था कि उसकी जान अब भूख के कारण निकल जाती।
एक दिन शेर को किसी इंसान के उसकी और आने का एहसास हुआ। शेर ज़ोर-जोर से रोने लगा। जब वह व्यक्ति शेर के पास आया तो उसने देखा कि शेर तो पिंजरे में बंद है। उस व्यक्ति ने इसका कारण पूछ। शेर ने बताया कि एक व्यक्ति ने मुझे छोटे पर से ही पाल रखा था। लेकिन जब मैं बड़ा हुआ तो उसने मुझे पिंजरे में बंद कर यहाँ छोड़ दिया।
शेर की यह स्टोरी सुनकर व्यक्ति भावना में बहने लगा। शेर ने कहा क्यों आप मुझे इस पिंजरे से बाहर निकल देंगे। मैं कई दिनों से भूखा हु। इस पर व्यक्ति ने कहा, अगर तुम बाहर आकर मुझे ही मार कर खा गए तो। शेर ने कहा, मै कभी ऐसा नहीं करुँगा। आप मुझ पर यकीन करे।
इसके बाद उस व्यक्ति ने पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। शेर पिंजरे से बहार आ गया। शेर पिंजरे से बहार आने के बाद काफी तेज से दहाड़ा। यह देख कर वह व्यक्ति थोड़ा सा डर गया। शेर ने कहा, अब तुमने मुझे आजाद तो कर दिया है। लेकिन मुझे अब बहुत ज्यादा भूख लगी है। मुझे इतने जोर से भूख लगी है कि मैं किसी जानवर का शिकार भी नहीं कर सकता है। मैं सोच रहा हु कि मैं अपनी भूख तुम्हे खाकर शांत कर लू। व्यक्ति डर गया और डरते हुए बोला, लेकिन तुमने तो कहा था कि तुम मुझे नहीं खावगे।
इस पर शेर ने कहा, मैं यह बात तब कही थी जब मैं पिंजरे में था और अब मैं आजाद हु। तभी वहाँ से एक लोमड़ी गुजर रही थी। व्यक्ति ने लोमड़ी से मदद करने को कहा। लोमड़ी ने कहा, मुझे सब कुछ बताव तब ही मैं कुछ फैसला कर सकती हुए। इसके बाद उस व्यक्ति ने अपनी सारी बात कही वही शेर ने भी अपने हिसाब से सब कुछ बताया।
दोनों की बात सुनने के बाद लोमड़ी ने कहा, मुझे यह समझ नहीं आ रहा है। शेर को पिंजरे से इस व्यक्ति ने कैसे आजाद किया होगा। क्या फिर से शेर उस पिंजरे में जा सकते है। और फिर से यह व्यक्ति आपको पिंजरे से आजाद कर सकते है। तब ही मैं सही और अच्छा फैसला ले सकती हु। इस पर शेर तैयार हो गया। शेर पिंजरे के अंदर फिर से चला गया। शेर के पिंजरे के अंदर जाते ही लोमड़ी ने पिंजरे का दरवाजा बंद कर दिया।
ताकि शेर फिर से बाहर ना आ सके। उसके बाद लोमड़ी ने उस व्यक्ति से कहा। यह है सही फैसल। जो आपके नेकी को ना माने उसके साथ ऐसा ही कर चाहिए। इसके बाद वह लोमड़ी और व्यक्ति पिंजरे में बंद शेर को छोड़ कर अपने-अपने रास्ते चल दिए।
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राजा के 3 बेटों की स्टोरी हिंदी में

एक दूर कभी एक राज्य हुआ करता था। उस राज्य के सभी लोग बहुत ही खुश थे। राज्य के सभी नागरिक खुश होने के बावजूद भी उस राज्य का राजा दुखी रहता था। राजा के दुखी का कारण उनके तीन बेटे थे। राजा के तीनो बेट किसी काम के नहीं थे। कोई भी काम नहीं करते थे। राजा की अब उम्र हो चली थी। अब वह समय आ गया था कि राज्य को राजा के तीनो बेटो में से कोई बेटा इस राज्य को सभाले। लेकिन राजा के तो तीनो बेटे ऐसे थे कि वह राज्य को बर्बाद कर दे।
एक दिन कि बात है राजा को एक उपाय आया। राजा ने अपने तीनों बेटो को अपने पास बुलाया। राजा ने अपने तीनो बेटे को एक-एक सोने का सिक्का दिया। राजा ने सोने का सिका देने के बाद कहा, इस एक सिक्के से कोई तुम इस महल को भर दो। जो भी इस एक सिक्के से इस महल को भर दिया वही इस राज्य का राजा होगा। इसके बाद सभी लड़के वह से चले गये। सबसे बड़ा लड़का बहुत सोचा लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आया। इसलिए उस पैसा का उसने नशा और अन्य काम में खर्च कर दिया।
दूसरा लड़के ने भी बहुत सोचा फिर उसके दिमाग में एक उपाय उसने उस एक सोने के सिक्के से इंतना कचरा ख़रीदा जिससे पूरा महल भर जाए। लेकिन यह सोच उसका गलत साबित हुआ। महल में बस कचरा ही कचरा हो गया। पुरे महल में बदबू फ़ैल गया।
अब बारी तीसरे और आखिरी लड़के का था। तीसरे लड़के ने भी बहुत सोचा फिर उसके दिमाग में एक विचार आया। वह बाजार से दूप-अगरबत्ती लेकर महल पूछा।
महल पहुंचने पर उसने उस धूप-अगरबत्ती को जलाया। उसके खुश्बू के धुए से पूरा महल भर गया। यह देख कर राजा बहुत ज्यादा खुश हुआ। इसके बाद राजा ने अपने तीसरे और आखरी बेटे को राज्य का राजा बना दिया।
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धन का ज्यादा मोह नुकसानदायक होता है

एक गांव में एक बहुत ही धनी व्यक्ति रहा करता है। उसके पास जितना धन था। उतना उस गाँव में किसी के पास नहीं था। फिर भी वह धनी व्यक्ति और धन कमाना चाहता था। दिन जब वह अपने धन को गिन रहा था। तो वह कहने लगा अभी मेरे पास कितना कम धान है। काश अगर ऐसा होता कि मैं किसी भी चीज को छूता तो वह चीज तुरंत सोने की हो जाती। इस बाद वह इसके बारे में ही सोचता रहता था। उसके सोचते हुए करीब 6 महीने बीत गए थे।
एक दिन उस धनी ने एक सपना देखा। उस सपने में एक संत उसे कुछ बता रहे थे। संत कह रहे थे। कि ज्यादा धन का मोह बोरा होता है। ईश्वर ने जितना भी धन दिया है। उतने धन में हर किसी को खुश रहना चाहिए। वैसे भी ईश्वर ने तुम्हे इतना धन दिया।
लेकिन धनी व्यक्ति संत से जिद करने लगा। धनी व्यक्ति ने कहा यह धन तो बस कुछ समय में ही ख़त्म हो जाएगें। धनी व्यक्ति के जींद के सामने संत हार गए। संत ने कहा, मैं तुम्हे वरदान देता हू कि कल सुबह से तुम जिस चीज को भी स्पर्श करोगे वह तुरंत ही सोना बन जाएगा।
सुबह होते ही उस धनी व्यक्ति ने अपने बिस्तर का स्पर्श किया तो बिस्तर तुरंत ही सोना हो गया। यह देख कर धनी व्यक्ति झूमने लगा। इसके बाद धनि व्यक्ति ने हर एक वस्तु का स्पर्श करने लगा जो उसे उसके सामने दिखता था। अपने घर के सारे वस्तु को सोने का करने के बाद वह बगीचे में गया। उसने सारे पेड़ पौधे का स्पर्श किया। तो पेड़-पौधे भी सोने का हो गया।
अब दोपहर का समय हो चला था। उस धनी व्यक्ति को भूख लग गया। धनी व्यक्ति के नौकर ने उसके सामने भोजन रखा। धनी व्यक्ति ने जैसे ही भोजन का स्पर्श किया तो वह सोने का हो गया। इसके बाद उस धनी व्यक्ति ने जैसे ही पानी को पिने के लिए स्पर्श किया तो वह भी सोने का हो गया। यह देख कर धनी व्यक्ति बहुत ही निराश हो गया। लेकिन अभी भी उसके मन में ख़ुशी बनी हुई थी। शाम का समय हो गया था। धनी व्यक्ति को अब बहुत जोर से भूख लगा था।
लेकिन अब भी भोजन को छूते ही सोने का हो गया। धनी व्यक्ति का बिना भोजन के जान निकलती जा रही थी। अब उसे किसी भी प्रकार का धन या सोना-चांदी अच्छा नहीं लग रहा था। बस उसे भोजन खाने की जरूरत थी।
ऐसे ही रात हो गया। अब धनी व्यक्ति सोच रहा था कि संत सही कह रही थे की धन का ज्यादा मोह नुकसान दायक ही होता है। यह सोचते ही उस धनी व्यक्ति को नींद आ गया और वह सो गया। नींद में फिर उसने सपना देखा। सपने में वही संत थे। संत ने कहा, क्या अब तुम खुश हो। इस पर धनी व्यक्ति रोने लगा और कहने लगा।
संत महाराज मुझे माफ़ करे। अपने इस वरदान को वापस ले। संत समझ गए कि इस धनी को अब सीख मिल गया है। इसलिए संत ने कहा। कल सुबह तक सब कुछ ठीक हो जाएगा। ऐसा ही सुबह सब कुछ अपने असली रूप में ही थे। अब धनी व्यक्ति जिस भी चीज का स्पर्श करता वह सोने का नहीं होता था। इसके साथ ही उस धनी व्यक्ति ने धन का मोह भी छोड़ दिया।
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