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Best panchatantra stories in hindi written for kids with moral

The Panchatantra stories is an ancient Indian collection of interrelated animal fables in Sanskrit language. here we collect the best panchatantra stories in hindi written for kids with moral.

चालाक बकरी Panchatantra stories

चालाक बकरी Panchatantra stories

एक बार एक बकरी एक पहाड़ के उचे स्थान पर घास चर रही थी । उस स्थान पर काफी फिसलन भी थी।

उसे एक भेड़िया ने देखा। उस भेडिया ने कहा, “बकरी बहन क्या तुम्हे उचाई से डर नहीं लगता है।”

बकरी ने कुछ भी न कहा वह अपने काम में लगी रही।

फिर वह भेडिया बोला, “बकरी बहन! वहा तो फिसलन भी है, अगर तुम गिर गई तो।”

फिर भी वह बकरी कुछ नहीं बोली और घास चरती रही।

अबकी बार भेडिये ने जोर से कहा, “बहन बकरी! उस उचे स्थान से ज्यादा अच्छे घास निचे जमीन पर है।”

इस बार बकरी बोली, “भेडिये भाई तुम्हे मेरी भोजन की चिंता है यह अपने भोजन की चिंता है।”

इसके बाद वह भेडिया वहा से चला गया।

कहानी से सीख- हमें किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए।

भोजन और जीवन panchatantra stories

एक बार की बात है। एक कुते की नजर एक खरगोश पर पड़ी। वह कुता उस खरगोश की पीछे पड़ गया। परन्तु खरगोश कुते आगे निकल गया।

इसके बाद वह कुता खाली हाथ वापस लौटा। उसे खाली हाथ आते देख उसके सारे दोस्त उसका मजाक बनाने लगे।

वह कुता पहले कुछ देर शांत फिर बोला, “अरे मेरे दोस्त तुमलोग क्यों नही समझ रहे हो की मै अपने भोजन के लिए दौड रहा था और वह खरगोश जीवन के लिए दौड रहा था।”

इसके बाद सारे जानवर शांत हो गए।

कहानी की सीख- “जीवन सबसे अनमोल चीज़ है.”

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धुखेबाज भेडिया panchatantra stories

एक बार एक भेडिये ने एक भैसे का शिकार किया. वह भेडिया जब भैसे को खा रहा था तभी एक हडी उसके गले में फ़स गई. वह भेडिया दर्द के मारे कहाराने लगा. उसे लग रहा था कि अब उसके जीवन का अंत आ गया है.

तभी उसे एक सारस देखाई दिया. भेडिया दर्द से कहाराते हुए सारस से बोला, “सारस भाई मेरी मदद करो. मेरे जीवन को बचाव. मेरे गले में से हडी को निकाल दो. मै तुम्हारा एहसान नही भुलुगा. मै तुम्हे इसके बदले इनाम भी दुगा.”

तो सारस उसकी मदद करने के लिए तैयार हो गया. सारस ने अपना लम्बा गर्दन भेडिये के मूह में डाला और गर्दन में फसी हुए हडी को अपने चोच से पकड़ कर निकल दिया. अब जाकर भेडिया के जान में जान आया.

सारस ने भेडिये से कहा, “भेडिये मित्र मेरा उपहार कहा है. मुझे मेरा उपहार दे दो.”

यह सुनते ही भेडिया आग बबुला हो उठा. उसने कहा, “अरे खैर मनाओ मैंने अपना जबाडा बंद नही किया. बंद कर लेता तो तुम्हारा किया हाल होता.” फिर किया था सारस वहा से चला गया. कहानी से सीख- नेकी उन्ही के साथ करनी चाहिए जो उसके लायक हो.

कर भला तो हो भला panchatantra ki kahaniya

कर भला तो हो भला panchatantra ki kahaniya

बहुत पहले की बात है. एक तालाब के किनारे एक पेड़ था. उस पेड़ पर एक चिठ्ठी रहा करती थी. एक दिन वह चिठ्ठी पेड़ से तालाब में गिर गई.

वह चिठ्ठी अपना जीवन बचाने के लिए हर एक प्र्यास कर रही थी. तभी उसी पेड़ पर रहने वाली एक कबुतर ने उस चिठ्ठी को तालाब में देखा. उस कबुतर ने पेड़ पर से एक पते को तोडा और उसे तालाब में चिठ्ठी के पास फेक दिया. चिठ्ठी मोका पाते ही पते पर चढ़ गई. चिठ्ठी ने नम आखो से कबुतर का धन्यावाद किया.

तालाब के बहाव ने चिठ्ठी को किनारे पर लगा दिया. कुछ दिन बाद वह चिठ्ठी जमीन पर घुम रही थी तो उसने देखा की पेड़ के निचे एक जाल बिछा हुआ है. उस जाल के ऊपर कुछ अन के दाने बिखरे पड़े है. और पेड़ एक पास एक शिकारी छुपा हुआ किसी चिड़िया के फसने का इंतजार कर रहा है.

तभी चिठ्ठी ने देखा की वह कबुतर जिसने उसकी जान बचाई थी वह उस अन के दाने को खाने के लिए जमीन पर आ रही है. चिठ्ठी तुरंत शिकार के पास पहुच कर शिकारी के पैर में इतनी जोर से काटी की शिकारी के मुह से चिख निकल गई. जब कबुतर शिकारी की और देखा तो सब कुछ समझ गई और वह वहा से दुसरे तर्फ़ उड़ चली.

इधर चिठ्ठी भी गायब हो गई और शिकारी यह सब देखता रह गया.

कहानी से सीख- कर भला तो हो भला.

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