सांप और कौवा की कहानी | Saap Aur Kauwa Ki Kahani In Hindi

Saap Aur Kauwa Ki Kahani In Hindi | सांप और कौवा की कहानी | कौवा और दुष्ट सांप | The Cobra And The Crow Story In Hindi | सांप और कौवा की कहानी | Snake and Crow Story in Hindi

Saap Aur Kauwa Ki Kahani

एक बार एक मादा कौआ जंगल में घूम रही थी। वह घोंसला बनाने के लिए सही जगह की तलाश कर रही थी। बड़ी मेहनत के बाद उसे एक पेड़ दिखा, जो उसका घोंसला बनाने के लिए बहुत उपयुक्त था।

कौए ने एक-एक तिनका डालकर एक सुन्दर घोंसला बना लिया। कौवे को उसका घर बहुत पसंद आया और वह वहां खुशी से रह रही थी।

एक दिन कौए ने अपने घोसले में कुछ अंडे दे दिए। उसने उन अंडों की अच्छी देखभाल की लेकिन उन्हें भोजन और पानी के लिए अकेला छोड़ना पड़ा।

जिस पेड़ पर कौए का घोंसला था, उसके पास ही एक सांप का बिल था, जिसमें एक बड़ा सा सांप रहता था। उस सांप की नजर उस कौए के घोंसले पर पड़ी, क्योंकि उसे यकीन था कि वहां अंडे होंगे।

सांप और कौवा की कहानी

जैसे ही कौआ अपने घोसले से निकला, वह सांप चुपके से आ गया और सारे अंडे खा गया। कौवा जब लौटता है तो अपने घोंसले में अंडे न पाकर बहुत डर जाता है और जोर-जोर से रोने लगता है। उसे समझ नहीं आ रहा है कि उसके अंडे कहां गए।

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सांप और कौवा की कहानी

कुछ दिनों बाद कौआ (मादा) फिर से अंडे देती है। और जब वह शाम को फिर से भोजन और पानी के लिए बाहर आती है, तो पीछे से सांप उसके अंडे खा लेता है। वापस आने पर कौवा अपना अंडा न पाकर फिर से रोने लगता है।

अब कौआ बहुत गुस्से में है और वह सोचती है कि वह यह पता लगाती रहेगी कि उसके अंडे कहां गायब हो गए।

कुछ महीने बाद जब वह दोबारा अंडे देती है तो वह अपने अंडे घोंसले में छोड़कर अगले पेड़ में छिप जाती है, ताकि वह देख सके कि उसके अंडे कौन लेता है।

आदत से मजबूर होकर सांप एक बार फिर कौए का अंडा खाने आ जाता है। कौवा सांप को आते देख बहुत हैरान होता है और अपने अंडों को बचाने के लिए वह सांप से बहुत लड़ता है और उसे बहुत चोट पहुंचाता है लेकिन फिर भी अंत में वह हार जाती है और सांप एक बार फिर उसके अंडे खाकर चला जाता है।

कौए को लगता है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो वह कभी अपने बच्चों को जन्म नहीं दे पाएगी और इसलिए उसे एक तरकीब सूझती है।

Saap Aur Kauwa Ki Kahani In Hindi

वह उड़ती हुई राजा के महल में पहुँचती है। वह देखती है कि राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ वहाँ कुंड में नहा रही है और राजकुमारी के सारे आभूषण कोने में रखे हुए हैं। कौवा वीर का सबसे चमकीला हार उठाकर उड़ने लगता है।

जब सैनिकों ने कौए को राजकुमारी का हार ले जाते हुए देखा तो उन्होंने उसका पीछा किया। कौआ चालबाजी करता है। वह उस हार को सांप के बिल में फेंक देती है और अपने घोसले में जाकर बैठ जाती है।

जब सैनिक देखते हैं कि हार साँप के बिल में है तो उस हार को लेने के लिए वे साँप के बिल को नष्ट कर देते हैं और उस साँप को भी मार डालते हैं।

कौआ ऊपर से यह सब देख रहा है और वह बहुत खुश है क्योंकि अब वह और उसके बच्चे उस सांप से सुरक्षित रहेंगे।

एक महीने के बाद कौआ फिर से अंडे देती है, जिसके बाद वह अपने बच्चों के साथ खुशी से रहती है।

Moral of The Story

इस कहानी (सांप और कौवे की कहानी) से हमें यह सीख मिलती है कि अगर समझदारी से काम लिया जाए तो हर मुश्किल का हल निकल आता है

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