बुद्धिमान बिल्ली और मंदबुद्धि चिड़िया की कहानी

बिल्ली और चिड़िया की कहानी

बुद्धिमान बिल्ली और मंदबुद्धि चिड़िया की कहानी :- एक समय की बात है जहां एक बिल्ली और चिड़िया रहते थे, दोनो में गहन मित्रता थी, बिल्ली चालाक व बुद्धि के स्तर पर समझदार थी और वही चिड़िया थोड़ी मनबुद्धि थी साथ में जल्दी हताश हो जाना उसका स्वाभाव था।

एक दिन, जब बिल्ली और चिड़िया खेल रही थीं, वे दोनों एक बड़े पेड़ के पास गईं। वहां एक रहस्यमय द्वार था जिसे देखकर वे बहुत ही आश्चर्यचकित हो गईं। वे निकटतम द्वार पर खड़े हो गईं और सोचने लगीं कि क्या वे इसे खोल सकती हैं या नहीं।

बुद्धिमान बिल्ली और मंदबुद्धि चिड़िया की कहानी

बिल्ली बुद्धिमान थी लेकिन उड़ नहीं सकती थी इसीलिये वो जमीन पर ही इधर उधर द्वार की चाबी ढूंढने लगी वही चिड़िया तो उड़ सकती थी और ऊंचा उड़ कर पेर की टहनियो पर चाबी ढुंडने लगी।

चिड़िया मनबुद्धि थी इसलिए वो ऊपर-ऊपर से ढूंढ रही थी जबकि पास और भी कई पेर थे और कुछ समय बाद वो हताश हो गई वही बुद्धिमान बिल्ली ने जब चिड़िया को हताश होते हुवे देखा तो उसने चिड़िया को अपने पास बुलाया और बोला की – “आप हताश मत हो, मैं आपकी मदद करती हूं और आपको दिशाओ का ज्ञान देती हूं, मैं आपको गाइड करती हूं कि किस दिशा ओर पेर पर ढूंढ़ना हे, आप उस दिशा में उड़-उड़ कर ढूंढो”

चिड़िया बहुत खुश हुई और उसने बिल्ली की योजना स्वीकार की और वे फिर से काम पर लग गए। बिल्ली चिड़िया को विभिन्न दिशाओं में भेजती रही और चिड़िया उस दिशा में ढूंढ़ती रही। कुछ समय प्रयास करने के बाद आखिरकार चिड़िया को चाबी मिल ही गई।

फिर दोनों ने मिलकर रहस्यमय द्वार को खोला. द्वार खुल गया और एक रोशनी से भरा कमरा उजागर हुआ। वहां पर एक सुनहरा संदूक था, जिसमें सभी जंगल की अमूल्य चीजें संग्रहित थीं।

बिल्ली और चिड़िया चकित रह गईं और वे आस्था से भरे हुए थे। उन्होंने संदूक में अनेक रहस्यमय चीजें देखीं जिनके बारे में उन्हें कोई ज्ञान नहीं था।

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उन्होंने देखा कि दूसरे एक कोने में एक पुरानी पुस्तक रखी हुई थी। बिल्ली ने पुस्तक को लिया और उसे पढ़ने लगी। पुस्तक में लिखा था, “यदि आपके पास सच्ची दृष्टि है और मिल जुल कर काम करने का तरीका तो जंगल के रहस्य को सुलझाने का रास्ता आपके सामने खुद ब खुद खुल जाएगा।”

Conclusion

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि किसी व्यक्ति में सारे अच्छे गुण होना असंभव है, जीव में गुण और अवगुण दोनो विद्यमान होते हैं तथा एक अकेला व्यक्ति सारा काम खुद नहीं कर सकता, उसे कभी ना कभी सहायता की आवश्यकता परती ही हे इसलिए बिना झिझके दूसरे से सहायता मांग लेनी चाहिए तथा एकता में बल होता हे और एकता से मिलकर काम करने से हमेशा सफलता मिलेगी हे

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